गुग्गल | GUGGAL
गुग्गल के विषय में –
गुग्गल एक उष्ण कटिबंधीय पौधा है। गुग्गुल की तासीर गर्म होती है, यह स्वाद में कड़वा होता है। गुग्गुल का वानस्पतिक नाम Commiphora wightii (कौमीफोरा वाइटिआइ) है। इसे गूगल और गुग्गुलु के नाम से भी जाना जाता है। इसे अंग्रेजी में Indian bdellium कहते हैं। गुग्गुल गोंद (guggul meaning in hindi) को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
गुग्गुल विटामिंस, एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स से भरपूर होता है। सामान्यतः 6 से 8 वर्ष पुरानी गुग्ग्ल की झाड़ियां होती है जो गोंद निकालने हेतु तैयार हो जाती हैं। गुग्गुल के तने को काटने से एक गोंद जैसा पदार्थ निकलता है और ठंडा होने के बाद ठोस हो जाता है। इस वृक्ष से प्राप्त गोंद को ही गुग्गुलु या गुग्गल कहते हैं।
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सुगंध के लिए इस्तेमाल होता है गुग्गल :
गुग्गुल वृक्ष के किसी भी हिस्से को तोड़ने से उसमें से एक प्रकार की सुगन्ध निकलती है। जो शरीर और दिमाग को फिर से जीवंत कर देती है। गुग्गुल का भारत के हर्बल दवाओं में अभिन्न स्थान है। ये स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होने के साथ-साथ कई तरह के बीमारियों के लिए औषधि के रुप में काम करता है। गुग्गुल को जोड़ों की दर्द, सूजन और डायबिटीज की समस्या दूर करने में लाभकारी माना जाता है। गुग्गुल बीमारियों को दूर रखने और आपको स्वस्थ रखने में मदद करता है।
कहां-कहां पाया जाता है गुग्गल :
गुग्गल राल को गुग्गुल के पेड़ की छाल से निकाला जाता है, जो कि एक छोटा झाड़ीदार पेड़ है जो राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के चट्टानी पारिस्थितिकी तंत्र में उगता है। गुग्गल का उपयोग सुगंध, इत्र में भी किया जाता है। इसकी महक मीठी होती है और आग में डालने पर इसकी सुगंध वातावरण को सुगंधित कर देती है। इसके धुएं से बैक्टीरिया-वायरस आदि सुक्ष्म जीव भी नष्ट होते हैं। ये एंटी ऑक्सिडेंट की तरह काम करता है। इसमें विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट, क्रोमियम जैसे अनेक घटक होते हैं। गुग्गुल का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से मोतियाबिंद, रूखी त्वचा जैसी समस्याएं होने लगती है।
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गुग्गल की अगरबत्ती व धूप में क्या खास –
गुग्गल की पहचान ही इसकी सुगंध में छिपी है। पूजा पाठ में अगरबत्ती या धूप अगर सुगंधित न हो तो लगता है कुछ कमी है। ऐसे में खास हो जाती है गुग्गल वाली अगरबत्ती और धूप। मशीन से निकलने के बाद अगरबत्तियों को पंखे या खुली हवा में सुखाया जाता है। अगरबत्ती सूखने के बाद उसे अलग-अलग सुगंध वाले पानी या इत्र में भिगोया जाता है। इसी प्रक्रिया के बाद ही किसी भी अगरबत्ती में खुशबू आती है। लेकिन गुग्गल वाली अगरबत्ती में ऐसा करने की जरूरत नहीं होती। गुग्गल अपने आप में सुगंध से भरपूर होता है, जिस पहले से ही मिक्सचर में मिला लिया जाता है। यही प्राकृतिक सुगंध ही खासियत है गुग्गल से बनी अगरबत्तियों की।
व्यंजन
सुगंधित अगरबत्ती-धूप बनाने में
गुग्गल का चूर्ण (पानी के साथ सेवन)
त्रिफला के साथ गुग्गल को सेवन
जड़ और पत्ते का काढ़ा
गुग्गल के फायदे
हृदय को स्वस्थ रखने में सहायक
बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम रखे
छाले-घाव में असरदार
एसिडिटी, शरीर की सूजन दूर करे