गंदरायणी

गंदरायणी

गंदरायण, गंदरायणी, गंदरायन या छिप्पी नामों से जाना जाने वाला हिमालयी मसाला ठेठ पहाड़ी खान-पान का अहम मसाला है। राजमा, झोई (कढ़ी) और गहत, अरहर व भट के डुबके (फाणु) में इसका दखल व्यंजन की खुश्बू और जायके को कई गुना बढ़ा देता है। गंदरायणी को हिंदी में चोरा, आयुर्वेद में चोरक कहा जाता है। हिमाचली इसे चमचोरा या चौरू बुलाते हैं तो कश्मीरी चोहरे। इसका अंग्रेजी नाम एन्जेलिका है। गंदरायण व हिमालयन एन्जेलिका इसके वाणिज्यिक नाम हैं। खुशबूदार एपिएसी (Apiaceae) परिवार का यह पौधा एन्जेलिका ग्लोका (Angelica Glauca) के वानस्पतिक नाम से जाना जाता है।

गोखरू

गोखरू

गोखरू | Gokhru एक जड़ी-बूटी है जिसका इस्तेमाल औषधीय रूप में किया जाता है। गोखरू के छोटे-छोटे फल होते हैं जिनको गोखरू कहा जाता है। इस जड़ी-बूटी का नाम गाय के खुर के नाम पर पड़ा है क्योंकि इनका आकार गाय के खुर की तरह होता है। इसका इस्तेमाल खासतौर पर वात, पित्त और कफ के उपचार में किया जाता है।

छोटी हरड़

छोटी हरड़

पेट की परेशानी होने पर सबसे पहले हरड़ का ही जिक्र सुनाई देता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि हरड़ भी दो प्रकार की होती हैं छोटी हरड़ और बड़ी हरड़। दोनों हरड़ एक ही पेड़ पर उगती है। छोटी हरड़ भारत में पाई जाने वाली एक खास प्रकार की जड़ी-बूटी है। जब हरड़ के वृक्ष से प्राप्त होने वाले फल में गुठली विकसित होने से पहले ही उसे तोड़ कर सुखा दिया जाता है, तो वह छोटी हरड़ बन जाती है।

तिरूर पान पत्ता

तिरूर पान पत्ता

भारत देश में पान के पत्तों की 500 से भी अधिक किस्में पायी जाती हैं। पान के पत्तों के लिए बारिश वाले इलाके ज्यादा बेहतर होते हैं। जिन राज्यों में लगाततार बरसात होने या नमी वाली मिट्टी पायी जाती है वहां के पान के पत्तों में औषधीय गुण अधिक पाए जाते हैं। पान की खेती को ‘ग्रीन गोल्ड’ भी कहा जाता है। केरल राज्य का मल्लापुरम जिला पान के पत्तों की खेती के लिए जाना जाता है।

मैसूर पान

मैसूर पान

लगभग 50 साल पहले, मैसूर पान के पत्ते मैसूर महाराजा के बगीचों में उगाए गए थे और बाद में पुराने अग्रहारा में पूर्णिया चूल्ट्री से विद्यारण्यपुरम जंक्शन तक फैले हुए थे, जो मैसूर में मैसूर-नंजनगुड रोड को जोड़ता है। धीरे-धीरे यह मैसूर के आसपास लगभग 500 एकड़ में फैल गया। इन पत्तों को पान के रूप में तंबाकू के साथ या बिना तंबाकू के भी खाया जाता है।

हिमालयन फरन

हिमालयन फरन

हिमालयन प्रदेशों में अनगिनत जड़ी-बूटियाँ पाईं जाती हैं जो हमारे स्वास्थ और पहाड़ी जीवन और दिनचर्या का हिस्सा बनती हैं। ऐसी ही पहाड़ी जड़ी-बूटी है ‘हिमालयन फरन’ जो उत्तराखंड में अधिक तौर पर पाई जाती है। यह जड़ी-बूटी कई स्वास्थय लाभों के मामले में अविश्वसनीय है। फरन के बारे में दिलचस्प जानकारी ये है कि ये प्याज परिवार से संबंधित है और उत्तराखंड की अल्पाइन घास के मैदानों में मूल रूप से पाई जाती है।

मगही पान

मगही पान

भारत देश अपनी विविधताओं के लिए जाना जाता है। यहां हर राज्य हर जिले की अपनी एक खास विशेषता है। उत्तर-प्रदेश के बनारस का नाम लें तो सबसे पहले बनारस के पान का जिक्र आता है। इसी तरह बिहार के मगध की बात करें तो वहां के मगही पान के तो देश विदेश तक चर्चे हैं। जी हां, मगही पान बिहार के मगध इलाके में सबसे अधिक उगाया जाता है। दिलचस्प बात है कि बनारस में ज्यादातर मिलने वाले पान मगध से ही आते हैं। मगध में पान की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि वो मगही पान के बेचने के लिए बनारस लेकर जाते हैं क्योंकि, बनारस में पान की अच्छी खासी मार्केट है।

हरड़

हरड़

हरड़, जिसका वानस्पतिक नाम (Terminalia chebula) है उसे ‘हर्रे’, ‘हरितकी’ जैसे नामों से भी जाता है। यह एक प्रसिद्ध जड़ी-बूटी है। यह त्रिफला में पाए जाने वाले तीन फलों में से एक है। भारत में इसका इस्तेमाल घरेलू नुस्खों के तौर पर खूब किया जाता है। आयुर्वेद में तो इसके अनेक चमत्कारी फायदे बताए गए हैं।