हिमालयन लाल चावल

लाल चावल की खीर ,भट्ट -गहत की दाल के साथ स्वादिष्ट भात सभी को बहुत पसंद है। खासकर प्रवासी उत्तराखंडी इस चावल को बहुत ज्यादा याद करते हैं। वैसे तो यह लाल चावल सारे उत्तराखंड में होता है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पारम्परिक रूप से जैविक खेती की जाती है जिससे उत्पाद उच्च गुणवत्ता और पोष्टिक रूप से भरपूर गुणों वाला उत्पादित होने से उत्पाद की मांग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक मांग रहती है।

तुलाईपंजी चावल

तुलाईपंजी चावल

तुलाईपंजी एक स्वदेशी सुगंधित चावल है जो मुख्य रूप से भारत के पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले के रायगंज उप-मंडल में उगाई जाती है। इस चावल की किस्म की सुगंध और गुणवत्ता इसकी मूल उत्पत्ति से दृढ़ता से जुड़ी हुई है। तुलाईपंजी को ‘गैर-बासमती सुगंधित चावल’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। साल 2017 में बंगाल के इस खुशबूदार तुलाईपंजी चावल को भारत सरकार की तरफ से GI Tag भी मिल चुका है।

काला नमक चावल

काला नमक चावल

हाल के वर्षों में ‘काला नमक चावल’ kala namak chaawal की विदेशों में भी मांग बहुत बढ़ गई है। इसकी खासियत यह है कि इसे बनाया तो घर में जाता है, लेकिन खुशबू पूरे मोहल्ले में महसूस होती है। लेकिन, यह जितना ही सुगंधित चावल है, इसमें उतने ही औषधीय गुण भी हैं। इतने फायदेमंद होने के बावजूद यह किसानों के लिए भी काफी लाभकारी है और इसकी पैदावार भी भरपूरी होती है। ऐतिहासिक कहानियों के मुताबिक इस चावल को खुद भगवान महात्मा बुद्ध का आशीर्वाद प्राप्त है।

राजामुड़ी चावल

राजामुड़ी चावल

भारत में 6 हजार से भी ज्यादा चावल की किस्में उगाई जाती हैं. जिसमें सफेद चावल हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। सफेद चावल कच्चे चावल का अत्यधिक शुद्ध रूप है। दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने के बावजूद सफेद चावल सेहत के लिए ठीक क्यों नहीं माने जाते? चोकर और अंकुरित सामग्री को अगर डेली डाइट में लिया जाए, तो वह काफी फायदेमंद होती है। इनमें फाइबर के साथ-साथ पोषक तत्व भी होते हैं, जो सेहत के लिए लाभदायक होते हैं। आज जानेंगें चावल की एक किस्म ‘राजामुड़ी चावल’ के बारे में।

कतरनी चावल

कतरनी चावल

कतरनी चावल अपनी खुशबू और स्वाद के लिए बेहद लोकप्रिय रहा है। यह बिहार राज्य के भागलपुर जिसे में सबसे अधिक उगाया जाता है। कहा जाता है पकने के बाद और पहले भी कतरनी चावल में से पॉप कॉर्न जैसी खुशबू आती है जो इसे बाकि चावल की किस्मों से अलग बनाती है। यह चावल आकार में छोटा होता है और चिपकता नहीं है। ये खाशियत कतरनी चावल की चानन नदी के बालू से आती है।

देहरादूनी बासमति चावल

देहरादूनी बासमति चावल

दून की बात करें और यहां उगने वाले चावल की बात न की जाए तो गलत होगा। देहरादून में पाए जाने वाले बासमति चावल यहां की खास उपज में से एक है। अधिकांश लोगों को मालूम नहीं होगा कि जिस ‘देहरादूनी’ बासमती की देश-दुनिया में धाक रही है, वह अफगानिस्तान से यहां आई थी।

जोहा चावल

जोहा चावल

भारत में 6 हजार से भी ज्यादा चावल की किस्में उगाई जाती हैं. जिसमें सफेद चावल हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। सफेद चावल कच्चे चावल का अत्यधिक शुद्ध रूप है। दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने के बावजूद सफेद चावल सेहत के लिए ठीक क्यों नहीं माने जाते? चोकर और अंकुरित सामग्री को अगर डेली डाइट में लिया जाए, तो वह काफी फायदेमंद होती है। इनमें फाइबर के साथ-साथ पोषक तत्व भी होते हैं, जो सेहत के लिए लाभदायक होते हैं। आज जानेंगें चावल की एक किस्म ‘राजामुड़ी चावल’ के बारे में।

काला जीरा चावल

काला जीरा चावल

बासमती धान की कई किस्मों की जानकारी हमें नहीं होती। आमतौर पर लोगों को सिर्फ़ इतना ही पता होता है कि हाँ यह बासमती चावल है, यह अरवा चावल है या फिर एक दो किस्मो की जानकारी और होती है उससे ज़्यादा नहीं। लेकिन बासमती धान का ही एक क़िस्म होता है जिसका नाम है “काला जीरा चावल / Kala Jeera Rice ” आज इसी के बारे में हम आपको बताने वाले हैं। इसकी खेती कर किसान अच्छी आमदनी कर रहे हैं।