मखाना

मखाना

मिठाई बनाने में इस्तेमाल हो या साबुत खाने में, खीर बनानी हो या बनानी हो चाय के साथ खाने वाली नमकीन, एक चीज़ जो हर डिश की मुख्य सामग्री होती है- नाम है ‘मखाना’। मखाने को Foxnut नाम से भी जाना जाता है, जो अपने बेहतरीन स्वाद और सेहत के फायदे के लिए मशहूर है।

हिमालयन बेरी

हिमालयन बेरी

डालेचुक, हिप्पोफेई, लेह बेरी, गोल्ड माइन, हिमालनय बेरी या लाली…..सब एक ही फल के नाम हैं, जिसे अंग्रेजी में SEA BUCKTHORN कहा जाता है। हमारे देश में यह जम्मू-कश्मीर, लेह-लद्दाख, सिक्किम और उत्तराखंड में पाया जाता है। लद्दाख में एक फ्रूट-जूस मिलता है ‘लेह बेरी’ वह इसी सी-बकथोर्न पौधे के फलों का जूस है जो काफी मशहूर है लेह में। इस जूस की खासियत यह है कि कितनी ही ठंड पड़े, यह जमता नहीं। शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस कम तापमान पर भी नहीं। सियाचिन ग्लेशियर हो या द्रास-कारगिल यह वहां भी नहीं जमता।

हिमालयन लाल चावल

लाल चावल की खीर ,भट्ट -गहत की दाल के साथ स्वादिष्ट भात सभी को बहुत पसंद है। खासकर प्रवासी उत्तराखंडी इस चावल को बहुत ज्यादा याद करते हैं। वैसे तो यह लाल चावल सारे उत्तराखंड में होता है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पारम्परिक रूप से जैविक खेती की जाती है जिससे उत्पाद उच्च गुणवत्ता और पोष्टिक रूप से भरपूर गुणों वाला उत्पादित होने से उत्पाद की मांग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक मांग रहती है।

तुलाईपंजी चावल

तुलाईपंजी चावल

तुलाईपंजी एक स्वदेशी सुगंधित चावल है जो मुख्य रूप से भारत के पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले के रायगंज उप-मंडल में उगाई जाती है। इस चावल की किस्म की सुगंध और गुणवत्ता इसकी मूल उत्पत्ति से दृढ़ता से जुड़ी हुई है। तुलाईपंजी को ‘गैर-बासमती सुगंधित चावल’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। साल 2017 में बंगाल के इस खुशबूदार तुलाईपंजी चावल को भारत सरकार की तरफ से GI Tag भी मिल चुका है।

करोंदा

करोंदा

करोंदा एक ऐसा फल जो  आपके घर के बगीचे में आसानी से उगते हुए देखा जा सकता है और इसकी खेती व्यावसायिक रूप से  भी की जाती है। ये हिमालय और पश्चिमी घाटों में पाया जाता है , इसका  झाडी  नुमा पेड़  उत्तरी क्षेत्र में अच्छी तरह से जाना जाता है।

हिमाचली चुल्ली तेल

हिमाचली चुल्ली तेल

हिमाचल प्रदेश सदा से ही औषधियों और अन्य उपयोगी पेड़-पौधों, जड़ी-बूटियों व फलों का प्रदेश रहा है। यहाँ का ठंडा मौसम अनेक पहाड़ी और हिमालयी पेड़-पौधों साथ ही अनेक खाद्य उत्पादों के लिए उत्तम रहता है जो कई तरह की बिमारियों और रोगों के उपचार के लिए लाभदायक माने जाते हैं। ऐसे ही औषधिय पौधों गुणों से परिपूर्ण है हिमाचल के ऊपरी क्षेत्र में पाए जाने वाले चुल्ली के पेड़।

सोयाबीन

सोयाबीन

देश आजाद हुआ, और स्वतंत्र हो गईं ऐसी कई खाद्य सामग्रियां, जो रह-रह कर हमारे सामने आने लगीं। इन्हीं में से एक थी सोयाबीन, जिसे सोयानट्स भी कहा जाता है। इस सोयाबीन ने किचन शेफ को कई लजीज रेसिपीज बनाने के मौके दिए और सेहत को लेकर सतर्क रहने वाले लोगों को सोयाबीन खाने की वैरायटीज।

लसोड़ा

लसोड़ा

लसोड़ा के विषय में –
भारतीय उपमहाद्वीप को विभिन्न स्वदेशी जामुन और फलों का गढ़ माना गया है।इनमें से कुछ मध्य भारत के प्राकृतिक / कुदरती माहालों में उगते हैं जो थोड़े कठोर होते हैं और उन्हें बहुत आसानी से उग जाते हैं | स्थानीय लोगों ने देशी सामग्रियों की मदद से इन्हें विकसित किया है। लसोड़ा या गोंदी ऐसा ही एक फल है। केर और करोंदा के साथ, लसोड़ा उत्तर और मध्य भारत के अधिकांश हिस्सों विशेषकर मारवाड़ी समुदाय में अचार के विकल्प के रूप में लोकप्रिय है। अचार को आमतौर पर गुंडे का अचार कहा जाता है।