खपली गेंहू

खपली गेंहू

आजकल लोग भूलाए जा चुके खानों या सामग्रियों की तरफ फिर से लौट रहे हैं। खपली गेंहू उसी का ही एक उदाहरण है। अगर कोई अपनी डाईट को लेकर सजग होगा तो उसने खपली गेंहू के बारे में जरूर सुना होगा या अपनी डाईट में शामिल जरूर किया होगा।

काला गेंहू

काला गेंहू

गेंहू हमारे खानपान का बेहद अहम हिस्सा रहा है। गेंहू को हम सबने सामान्य रूप में गोल्डन भूरे रंग में देखा है। भूरे गेंहू से बनी रोटी का रंग भी भूरा ही होता है। लेकिन पिछले कुछ सालों से देश के कई हिस्सों में काले गेंहू की खेती होनी शुरू हो चुकी है। इस गेंहू का रंह भी काला होता है और इसके आटे से बनने वाली रोटी भी काले रंग की ही बनती है।

शरबती गेहूं

शरबती गेहूं

शरबती गेहूं जिसे गोल्डन ग्रेन (Golden Grain) भी कहा जाता है, वो प्रीमियम वैरायटी है, जो रंग, रूप और गुण में बाकी गेहूं से कहीं ज्यादा बलवान है। मध्य-प्रदेश, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश, आदि राज्यों में शरबती गेंहू उगाया जा रहा है। मध्य प्रदेश के सिहोर में इस गोल्डन ग्रेन की खेती की जाती है, जिसके भाव बाजार में साधारण गेहूं से कहीं अधिक है। इतना ही नहीं, दिल्ली जैसे बड़े-बड़े शहरों में इसका आटा भी महंगा बिकता है।

कठिया गेंहू

कठिया गेंहू

कठिया गेहूं कई बीमारियों के खिलाफ असरदार है। गैस की बीमारी के दौरान इस गेहूं के सेवन की सलाह दी जाती है। इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन A, फाइबर, ऑक्सीडेंट भी मौजूद है। साथ ही इसका उपयोग उपयोग बिस्किट, सूजी, दलिया, उपमा आदि के रूप में किया जाता है। दक्षिण भारत में लोग इसको नाश्ते के रूप में प्रयोग करते हैं। इसकी उत्पादकता प्रति बीघे 2 क्विंटल से 25 क्विंटल तक है। बाजार में इसकी कीमकत 3500 रु प्रति क्विंटल है।

भलिया गेहूं

भलिया गेहूं

साल 2011 में भलिया गेहूं को GI Tag मिल चुका है जो इस गेहूं की गुणवत्ता के कारण मिला जिसमें हाई-प्रोटीन और गेहूं में मिठास शामिल है। भालिया गेहूं ड्यूरम (durum) गेहूं की एक किस्म है जो अपनी कठोर बनावट और उच्च प्रोटीन सामग्री के लिए जानी जाती है। यह पास्ता/ Pasta, कूसकूस (couscous/कुस्कस ड्यूरम गेहूं से बने सूजी के दानों का एक रूप है।