Harad | Haritaki | हरड़ | हरीतकी
हरड़ के विषय में –
हरड़, जिसका वानस्पतिक नाम (Terminalia chebula) है उसे ‘हर्रे’, ‘हरितकी’ जैसे नामों से भी जाता है। यह एक प्रसिद्ध जड़ी-बूटी है। यह त्रिफला में पाए जाने वाले तीन फलों में से एक है। भारत में इसका इस्तेमाल घरेलू नुस्खों के तौर पर खूब किया जाता है। आयुर्वेद में तो इसके अनेक चमत्कारी फायदे बताए गए हैं। हरड़ का आकार किस्म दर किस्म भिन्न होता है। लेकिन इसकी बाहरी त्वचा उबड़-खाबड़ और कटी-फटी होती है। इसके कई लाभों के चलते इसे अचार से लेकर मुरब्बे के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
हरड़, एक ऊँचा वृक्ष होता है एवं भारत में विशेषतः निचले हिमालय क्षेत्र में रावी तट से लेकर पूर्व बंगाल-असम तक पाँच हजार फीट की ऊँचाई पर पाया जाता है। हिन्दी में इसे ‘हरड़’ और ‘हर्रे’ भी कहते हैं। नियमित रूप से हरड़ का सेवन आपके पाचन तंत्र को सुधार सकता है। इसे गैस, अपच और कब्ज जैसी पेट की कई समस्याओं में कारगर माना गया है। एक कप गर्म पानी में 1-3 ग्राम हरड़ का सेवन आपको पाचन संबंधी परेशानियों में राहत दिला सकता है। इसके कड़वे स्वाद के चलते इसे कभी कभी शहद में मिलाकर भी खाया जाता हैं।
हरड़ आधारित टोनिक इन दिनों तेज़ी से मुख्यधारा में आ रहा है। कई फार्मा कंपनी हरड़ की क्षमता तलाशने में खासी दिलचस्पी ले रही हैं। हरीतकी एक प्रभावी औषधि भी है। इसके गुणों का लाभ लेने के लिए विभिन्न ऋतुओं में ही इसका सेवन करना चाहिए।
वर्षा ऋतु में सेंधा नमक के साथ
शरद ऋतु में शकर के साथ
हेमंत ऋतु में सोंठ के साथ
शिशिर ऋतु में पीपल के साथ
वसंत ऋतु में शहद के साथ
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हरड़ के व्यंजन
अचार
मुरब्बा
हरड़ के फायदे
खाँसी और सर्दी से लड़ने में उपयोगी
भूख बढ़ाने में फायदा कब्ज से छुटकारा
पेट में भारीपन, शरीर में थकावट होने पर सेवन
गर्भवती स्त्रियों के लिए हरड़ को सेवन नुकसानदेह