खैर का पेड़ | Khair Tree
खैर के विषय में –
अगर आप पान खाते हैं तो आपने कत्था लगा पान भी खाया होगा। क्या आपको मालूम है कि कत्था बनता कैसे हैं या किस चीज से बना होता है। कत्था बनता है खैर के पेड़ से। जी हाँ! खैर का पेड़ बबूल की प्रजाति का ही एर पेड़ है जो बबूल जैसा ही दिखता है। खैर का पेड़ भारत में पाए जाने वाले बड़े पेड़ों में से एक प्रमुख पेड़ है। खैर का पेड़ देखने में बबूल के पेड़ के समान ही रहता है। इसमें छोटे-छोटे कांटे लगे रहते हैं। खैर की पत्तियां बबूल के पेड़ की पत्तियों जैसी रहती हैं। इसकी पत्तियां छोटी-छोटी रहती हैं। खैर के पेड़ का उपयोग बहुत सारे औषधीय कामों में किया जाता है।
यह पौधा गर्म जलवायु में अच्छी तरह फलता फूलता है। इस पौधा को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती है। खैर का पौधा एक दुर्लभ प्रजाति है। अगर आपको इसके बीज मिल जाते हैं, तो आप इसे मिट्टी में लगा दीजिए और खैर का पौधा आराम से उग जाता है। भारत में यह उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र तथा उड़ीसा के मैदानी एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 1200 मीटर की ऊँचाई तक पाया जाता है।
कैसे होता है खैर का पेड़ –
खैर के पेड़ को, कत्था का पेड़ या खदिर का पेड़ के नाम से जाना जाता है। खैर के पेड़ में बहुत सारे औषधीय गुण रहते हैं। खैर के पेड़ के तने से कत्था बनता है। कत्था का इस्तेमाल पान में किया जाता है और हमारे देश में पान बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। पान के पत्ते में कत्था लगाया जाता है और इसे चबाया जाता है। इससे मुंह से संबंधित बहुत सारे रोग ठीक हो जाते हैं। खैर का पेड़ भारत के जंगलों में आसानी से देखने के लिए मिल जाता है। खैर की लकड़ी का उपयोग दरवाजे की चौखट, दरवाजे, टेबल, कुर्सी बनाने के लिए किया जाता है। खैर की लकड़ी अन्य पेड़ों की तुलना में बहुत अधिक मजबूत रहती है।
कैसे बनता है खैर से कत्था –
कत्था बनाने के लिए, खैर के पेड़ का एक मोटा तना ले लीजिए। तने की बाहरी छाल को निकाल लीजिए और तने के छोटे-छोटे टुकड़े काट लीजिए। उसके बाद आप इसे पानी में उबाल लो। जब इसका सार निकल जाएगा। तब इसे आप छलनी से छान लीजिए और इसे दो-तीन बार मलमल के कपड़े से छानना है और इसको दोबारा गर्म कीजिए। जब यह गाढ़ा हो जाता है, तो उसे सूखने के लिए रख दीजिए। यह आपका शुद्ध कत्था रहेगा और इसे बनाना बहुत आसान है। गांव में लोग इसे घरों में ही बना लेते हैं।
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कत्था मुंह से लेकर पेट तक की बहुत सारी समस्याओं को ठीक करता है। कत्थे का उपयोग मुंह से संबंधित बहुत सारी समस्याओं में किया जाते हैं। दांतो के दर्द में, दांतों में कीड़े लगने की परेशानी, मुंह में छाले होना, कुष्ठ रोग में कत्थे का प्रयोग किया जाता है।
खैर के अन्य उपयोग –
खैर की पत्तियों के पीछे भी छोटे-छोटे कांटे रहते हैं। खैर में सुंदर पीले रंग के छोटे-छोटे फूल खिलते हैं। खैर में फल लगते हैं। इसके फल चिकने रहते हैं और इनमें बीज भी पाए जाते हैं। खैर का तना भूरे का होता है। खैर का उपयोग कत्था बनाने के अलावा और भी बहुत सारे कामों में किया जाता है। खैर का उपयोग पूजा के लिए और आयुर्वेदिक औषधि बनाने के लिए किया जाता है। खैर की तासीर ठंडी रहती है। खैर के पेड़ से गोंद भी निकाली जाती है, जो औषधि में उपयोग किया जाता है।
खैर का उपयोग
कत्खा बनाने में
गोंद बनाने में
दिमक रहित लकड़ी
कच (रंगाई में काम ) बनता है
खैर का प्रयोग
गोंद निकालकर प्रयोग
कत्था बनाकर पान में सेवन
जड़, छाल, फूल के रूप में प्रयोग
कच बनता है जो कपड़ो की रंगाई में
इस्तेमाल होता है