जखिया / पहाड़ी सरसों
जखिया के विषय में –
उत्तराखंड के पहाड़ों में घूमने जाते समय एक किस्सा बड़ा सुना जाता है कि उत्तराखंड से दिल्ली की तरफ जाने वाली बसों के यात्रियों के बैग की चैकिंग हो जाए तो ज्यादातर के झोलों में जखिया (पहाड़ी सरसों) की पोटली जरूर मिल जाएगी। ये बात भले ही मज़ाक में कही गई हो लेकिन पहाड़ियों के लिए जखिया के प्यार को आप नकार नहीं पाएंगें। जखिया एक पहाड़ी पौधा है जिसकी खेती कम ही की जाती है लेकिन घर घर के व्यंजनों में इसकी उपस्थिति जरूर मिलती हैं। इसका कारण है कि ये एक जंगली या खरपतवार वाला पौधा है जो खाली जगहों, नदी के किनारों, खेतों की मेड़ पर बरसात के दिनों में खुद से ही उग आते हैं। इसे प्रकृति का उपहार माना गया है। अपने स्वाद और महक के लिए जखिया पहाड़ी लोगों के खाने में शामिल होने वाला एक जरूरी मसाला है।
जखिया का पौधा लंबाई में एक मीटर तक का होता है, जिसमें सरसों की तरह फलियां आती हैं। बरसात में उगने के बाद अक्टूबर आते आते इसकी फलियां पक जाती हैं जिसके बाद फलियों से जखिया को निकालकर कर सुखा लिया जाता है। उसके बाद जखिया के दानों को साल भर तड़के के रूप में विभिन्न खानों जैसे दालों व सब्जियों में इस्तेमाल किया जाता है। आलू के गुटके हो या हो हरे कद्दू की सब्जी में जखिया का छौंका लग जाए तो क्या ही कहना। जीरा राइस की तरह की चावलों में जखिया का तड़का लग जाए तो उस वक्त जखिया चावलों से स्वाद व्यंजन कोई और नहीं होता। चूंकि इससके रंग और आकार की बात करें तो ये एकदम राई और सरसों के दानों जैसे ही दिखाई देती है, इसलिए इसे जंगली सरसों भी कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे वाइल्ड मस्टर्ड भी कहते हैं।
जखिया को औषधी के रूप में भी इस्तेमाल किया जात है। आयुर्वेद में जखिया को बुखार, खांसी, जलन, हैजा आदि बीमारियों के लिए उपयोगी औषधि बताया गया है। चोट लगने पर जखिया पौधे के पत्तों को लेप बनाकर लगाया जाता है। जखिया की इसी लोकप्रियता के करण कुछ लोग इसकी खेती करना भी शुरू कर चुके हैं। इसके औषधीय प्रयोग के बारे में रू.1991 में सीएसआईआर में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार इस वनस्पति का प्रयोग सूजन कम करने एवं लीवर संबंधी समस्याओं को दूर करने में, एब्रोंकाइटिस एवं डायरिया जैसी स्थितियों से निबटने में भी उपयोगी पाया गया है। जखिया के बीजों से प्राप्त तेल भी औषधीय गुणों से युक्त होता है। एंटीसेप्टिक, रक्तशोधक, स्वेदकारी, ज्वरनाशक इत्यादि गुणों से युक्त होने के कारण बुखार, खांसी, हैजा, एसिडिटी, गठिया, अल्सर आदि रोगों में जखिया बहुत कारगर माना जाता है।
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व्यंजन
जखिया की पत्तियों का काढ़ा
तड़के के लिए बीजों का इस्तेमाल
जखिया का पत्तियों की सूखाकर तड़के में इस्तेमाल
आलू, पिनालू, गडेरी, कद्दू, लौकी, तुरई, हरा साग, कढ़ी आदि व्यंजनों में इसका तड़का लगाया जाता है।
जखिया के उपयोग
सूजन को कम करने में मददगार
चोट जल्दी भरने में मददगार
वायरल बीमारियों से बचाव
जोड़ों में दर्द को दूर करें
पेट की समस्याओं को दूर करें
Jakhiya humare uttrakhand mein bahut khaaya jaata hai. Isse khana bahut swaad aur healthy banta hai. Aap log rare spices ka documentation kar rahe hain, jiski abhi behad jarurat hai. Thanks Samagralay Team.
तपन, आपने सामग्रालय के काम को सराहा इसके लिए धन्यवाद।