साबूदाना | SABUDANA
साबूदाना के विषय में –
भारत में साबूदाने को इतना शुद्ध माना जाता है कि इसे लोग व्रत में फलाहाकर के रुप में खाते हैं। इसकी खिचड़ी, खीर, पापड़ और अन्य व्यंजन वनाए जाते हैं जिन्हें लोग बड़े चाव से खाते हैं। यह पौष्टिक आहार इतना हल्का होता है कि बहुत जल्दी पच जाता है. इसे व्रत में खाने का एक मुख्य कारण यह है कि इसमें कार्बोहाइड्रेट की अधिक के साथ साथ कैल्शियम और विटामिन-सी भी पाया जाता है. शरीर को इससे ऊर्जा मिलती है और व्रत में खाना ना खाने के बावजूद भी इंसान कमज़ोरी महसूस नहीं करता.
भारत में साबूदाना टैपिओका स्टार्च से बनाया जाता है। Tapioca स्टार्च को बनाने के लिए कसावा नामक कंद का इस्तेमाल किया जाता है जो बहुत हद तक शकरकंद जैसा होता है। इस गूदे को बड़े-बड़े बर्तनों में निकालकर आठ-दस दिन के लिए रखा जाता है और रोजाना इसमें पानी डाला जाता है। इस प्रक्रिया को 4-6 महीने तक बार-बार दोहराया जाता है। उसके बाद बनने वाले गूदे को निकालकर मशीनों में डाल दिया जाता है और इस तरह साबूदाना प्राप्त होता है, जिसे सुखाकर ग्लूकोज और स्टार्च से बने पाउडर की पॉलिश की जाती है और इस तरह सफेद मोतियों से दिखने वाले साबूदाने बाजार में आने के लिए तैयार हो जाते हैं।
भारत में सबसे अधिक मात्रा में साबूदाने का उत्पादन तमिलनाडु के सेलम में होता है। कसावा सबसे ज़्यादा सेलम में उगाया जाता है तथा टैपिओका स्टार्च के सबसे ज़्यादा प्रोसेसिंग प्लांट भी सेलम में ही लगे हुए हैं। दक्षिणी भारत में Tapioca चिप्स के तौर पर इसे काफी पसंद किया जाता है तो वहीँ महाराष्ट्र में साबूदाने का प्रयोग खिचड़ी और वड़ा में किया जाता है। Bubble -tea में भी इसका उपयोग होता है। चूँकि ये स्टार्च से भरपूर है और इसमें अधिक मात्रा में कैल्शियम और लोहा है इसलिए ये स्वास्थ के लिए भी फायदेमंद है।
व्यंजन
चिप्स/ पापड़
साबूदाना खिचड़ी
साबूदाना वड़ा
साबूदाना आप्पे
साबूदाना खीर
साबूदाना के फायदे
हड्डियों को मजबूत बनाना
बरकरार रहता है एनर्जी लेवल
पेट की समस्याओं में राहत
मांसपेशियों की ग्रोथ में मददगार