बैंगलोर ब्लू | BANGALORE BLUE GRAPES
बैंगलोर ब्लू की खेती –
कर्नाटक के बंगलोर ग्रामीण और बंगलोर शहरी इलाकों में एक खास किस्म के अंगूर की खेती की जाती है जिसे ब्लू अंगूर या बैंगलोर ब्लू अंगूर के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि 18वीं शताब्दी के समय से ही ये अंगूर इन इलाकों में उगाए जाते रहे हैं और समय के साथ यहाँ की जलवायु, मिट्टी और अंगूर की खेती के नए नए नियमों की मदद से रस वाले अंगूर (हरे) और बंगलोर ब्लू (नीले अंगूर) वाइन अंगूर जैसी प्रसिद्ध किस्मों की खेती यहाँ बहुतायत होने लगी है।
दिलचस्प बात बैंगलोर की ये है कि महाराष्ट्र के बाद भारत में सबसे अधिक अंगूर की खेती बैंगलोर में की जाती है। इन प्रसिद्ध बंगलौर नीले अंगूरों की खेती बंगलौर ग्रमीण के साथ-साथ नेलामंगला, होसाकोटे, देवनहल्ली, डोड्डाबल्लापुर, चिक्काबल्लापुरा और कोलार जिलों के क्षेत्रों में भी व्यापर रूप से की जाती है।
इस किस्म को उगाने के लिए आवश्यक आदर्श परिस्थ्तियों की जरूरत होती है जैसे यहाँ की रेतीली दोमट प्रकार की मिट्टी और स्थिर तापमान जो बैंगलोर के आस पास के क्षेत्रों में पाया जाता है, इसलिए यह किस्म विशेष रूप से यहाँ उगाई जाती है। इसके उपयोग की बात करें तो बंगलौर ब्लू का उपयोग जैम, जेली, जूस और मदिरा बनाने में होता है।
बैंगलोर ब्लू अंगूर को मिला GI TAG’ –
• साल 2013 में बैंगलोर ग्रमीण के बैंगलोर ब्लू को भौगोलिक संकेत (GI TAG) का दर्जा प्राप्त हुआ।
• राज्य सरकार ने शराब नीति 2012 के तहत बैंगलोर ब्लू से बनी शराब को फोर्टिफाइड शराब के रूप में मान्यता दी है।
• यह फ्रूट वाइन से अलग होती है क्योंकि इसमें फलों से निकली शराब में अतिरिक्त स्प्रिट मिलाई जाती है।
• मीडिया रिपोर्टस के मुतबिक सालाना लगभग साढ़े चार लाख टन बैंगलोर ब्लू की पैदावार होती है।
• बैंगलोर ब्लू को उगने के लिए अधिकतम 35 से 37 डिग्री और न्यूनतम 12 से 15 डिग्री सेल्सियस के तापमान की जरूरत होती है।
बैंगलोर ब्लू के व्यंजन
जेली
जूस
ड्रिंक्स
सलाद
बैंगलोर ब्लू के फायदे
एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर
पाचन की समस्या ठीक करे
याददाश्त तेज रहती है
कोलेस्ट्रॉल को कम करता है