GALGAL | गलगल | पहाड़ी नींबू

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गलगल के विषय में -

गलगल नींबू की तरह दिखने वाला एक फल होता है लेकिन, नींबू के आकार से थोड़ा बड़ा बिलकुल संतरे जैसा। नींबू की ही तरह यह खट्टा और रस से भरपूर होता है। गलगल को दरअसल नींबू प्रजाति का ही फल माना जाना है जो एक पहाड़ी फल है जिसे पहाड़ी नींबू भी कहते हैं। भारत में खट्टे फलों की करीब 27 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से लगभग 23 पूर्वोत्तर भारत में पाई जाती हैं। गलगल की बात करें तो यह जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित हिमालय के उत्तर-पश्चिमी तलहटी में अधिक पाया जाता है।

यह फल सर्दियों में बाजारों में आना शुरू होता है। साल के पहले दो महीनों में बाजार गलगल से सज जाता है। दरअसल यह एक जंगली फल होता है। इस फल के पक जाने पर जंगलों में से इसको इकट्ठा कर लिया जाता है इसलिए कह सकते हैं कि ये एक जैविक फल है। गलगल के पेड़ 40 डिग्री सेलिस्यस की गर्मी ले लेकर 4 डिग्री सेल्सियस की सर्दी में भी जीवित रह सकता है। इसके फलों से बने अचार आदि महानगरों तक आते आते मंहगा हो जाता है क्योंकि बड़े स्तर पर खेती नहीं होती। इसलिए व्यवसाय के माध्यम से इसकी खेती भी एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है।

उत्तराखंड में गलगल के रसदार गूदे का उपयोग सलाद में भी किया जाता है। इसे सरसों के पत्तों की चटनी, नमक और गुड़ के साथ मिलाकर खाया जाता है। हिमाचल प्रदेश में लोग इस फल के रस को ‘चुख’ बनाने के लिए गाढ़ा करते हैं और जब ताजा फल उपलब्ध नहीं होता, तब इसका इस्तेमाल भोजन में किया जाता है। ख्याल रखने वाली बात ये है कि ये फल जल्दी खराब हो जाता है। इसके रस को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए प्रति लीटर के हिसाब से 20 ग्राम नमक और 20 मिलीलीटर सरसों के तेल के साथ मिलाकर करीब 10 महीने तक आराम से इस्तेमाल किया जा सकता है। इस प्रक्रिया से गलगल के रस के स्वाद, रंग और सुगंध को बचाए रखा जा सकता है।

गलगल हार्ट हेल्दी विटामिन सी और कई लाभकारी तत्वों से भरपूर होता है जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। एजिंग साइन्स को कम कररना हो या बालों की मजबूती बढ़ानी हो तो गलगल को खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं। रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने, हाजमा दुरुस्त रखने, गैस की समस्या, वजन कम करने जैसे फायदों के लिए गलगल बेहद गुणकारी है। गलगल के के रस को किसी भी डिश में मिलाकर खा सकते हैं जैसे- पोहा, उपमा, अचार, मुरब्बा, चटनी, शरबत आदि।

 

Samagralay Review : Kilmora Galgal Chutney / गलगल चटनी

लाल, हरी बाजार वाली चटनी भूल जाएं और खाना शुरू करें गलगल चटनी। गलगल जिसे पहाड़ी नींबू भी कहा जाता है उसकी चटनी स्बाद में बेहतरीन होती है। पहाड़ी फल होने के कारण इसका स्बाद भी आम नींबू की तुलना में ज्यादा स्वाद है। होममेड और खट्टी-मीठी इस चटनी को रोजाना खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं। पढ़िए गलगल की चटनी का रिव्यू।

⦿ आकर्षक पैकेजिंग :

पैकेजिंग काफी अच्छी है। कांच की बोतल में गलगल की चटनी को पैक किया गया है जिसकी लेबैलिंग भी काफी बढ़िया है। Kilmora, उत्तराखंड का एक ब्रांड है जिसके सभी प्रोडक्ट्स यहां के लोकल किसानों द्वारा बनाया और उगाया जाता है। जिस वजह से मिलावट और खराब सामान का जर नहीं रहता। किलमोड़ा के बाकि प्रोडक्ट्स भी आप चैक कर सकते हैं। इनकी बैवसाइट का लिंक रिव्यू में नीचे दे दिया गया है।

⦿ स्वाद में बेहतरीन :

गलगल (पहाड़ी नींबू) की चटनी, जिसे हिल लेमन भी बोला जाता है तीखा है और आप इसे चखने से खुद को रोक नहीं सकते। जब हिमालयी पुदीना,अदरक और चीनी के साथ जोड़ा जाता है तो इसका स्वाद दोगुना हो जाता है और बहुत स्वादिष्ट भी। यह एक चटनी है जो दाल-चावल या यहां तक कि पराठों के साथ भी अच्छी तरह से काम करती है। गर्मी को मात देने के लिए निंबू-सोडा बनाने के लिए इसका उपयोग करें!

⦿ Ingredients in Kilmora Galgal Chutney :

  • गलगल

  • हिमालयी पुदीना

  • अदरक

  • जीरा

  • चीनी

  • नमक

सामग्रालय का अनुभव –

सामग्रालय का रिव्यू हमेशा किसी भी प्रोडक्ट को इस्तेमाल करने के बाद ही लिखा जाता है। बाजार में मिलने वाले ज्यादातर ब्रांड्स में हानिकारक प्रिजरवेटिव्स जाले जाते हैं इसीलिए सामग्रालय आपके लिए हमेशा हल्दी प्रोडक्ट्स को रिकेमंड करता है। इसीलिए अगर आप यहाँ तक पहुंच ही गए है तो एक बार नीचे दिए गए लिंक पर जाकर खुद को सेहतमंद बनाने की तरफ एक क्लिक बढ़ाएं।

गलगल के व्यंजन

  • अचार और मुरब्बा बनाएं
  • गलगल का शरबत बनाएं
  • नमक और गुड़ के साथ चटनी
  • सुगंध और स्वाद बढ़ाने के लिए
  • विटामिन सी से भरपूर लेमनेड

गलगल के फायदे

  • सुबद के समय इसका उपयोग फायदेमंद
  • एसिडिटी होने पर खाली पेट सेवन न करें
  • इसके सेवन के तुरंत बाद पानी न पिएं
  • फल को सप्ताह भर में इस्तेमाल कर लें
  • एस सप्ताह तर फ्रिज में स्टोर कर सकते हैं

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