कैर | Kair
कैर के विषय में –
अगर आपने कभी राजस्थान की यात्रा की है तो कैर | Kair की सब्जी जरूर खाई होगी। कैर | Kair राजस्थान जैसे गर्म प्रदेश के साथ ही हरियाणा के अरावली क्षेत्र में पहाडियों पर आसानी से उगा हुआ दिख जाता है।
कैर यहां का एक ख़ास फल है, जो सबसे ज़्यादा राजस्थान में ही उगता है। इसकी वजह कि कैर की खेती के लिए वहां की जलवायु उपयुक्त है। वैसे तो ये वहां झाड़ी के रूप में उग आता है, लेकिन किसान व्यवासायिक तौर पर कैर की खेती करके अच्छी आमदनी कर सकते हैं।
कैर | Kair क्यों है इतना मशहूर ?
अचार, सब्ज़ी बनाने में कैर की काफ़ी मांग होती है। इतना ही नहीं, पेट की बीमारी में भी ये काफ़ी उपयोगी है। कैर को करीर, केरिया, कैरिया और टींट जैसे कई नामों से जाना जाता है। इसे कैपेरिस डेसीडुआ भी कहते हैं। इसका पौधा मूल रूप से थार रेगिस्तान का है। यह जंगली फल वाला पौधा उत्तर पश्चिम भारत मे,विशेषकर राजस्थान के पश्चिमी पाया जाने वाला एक जंगली पौधा है। जिसके फल की सब्जी व अचार बनता है, फल वैसे तो बहुत ही कड़वा होता है तो इसको सब्जी अचार बनाने के पहले 4-5 दिन नमक मे या दही की छाछ मे भिगो कर रखना पडता है।
बंजर भूमी का फल है कैर :
कैर का पौधा 3-5 मीटर तक ऊंचा होता है। इसकी शाखाएं गहरे हरे रंग की होती है और कच्चे फल का रंग हरा होता है। पकने के बाद फल लाल रंग का हो जाता है। इसके पेड़ की पत्तियां बहुत छोटी-छोटी होती है और ज़्यादा समय तक नहीं टिकती। इसलिए ज़्यादातर समय पेड़ बिना पत्तों के झाड़ी की तरह दिखता है। इसके पौधों को पानी बहुत कम चाहिए, इसलिए बंजर भूमि में भी आसानी से उग जाता है।
शरीर के लिए चमत्कार है कैर :
खून साफ करने और डायबीटीस के रोगियों के लिये बहुत लाभदायक है। इसके कई नाम है, कैर, करीर, करील, वैज्ञानिक नाम है- Capparis dessidua, इस पर साल मे दो बार बहुत ही सुन्दर लाल रंग के फूल आते है। इस पर पत्तियां नही होती सिर्फ शाखाएं होती है मतलब केवल झाड़। जोधपुर व आस पास के सभी शहर गाँव मेइसके ताजा हरे फल सब्जी की दुकान पर तथा सुखाए हुए फल किराना स्टोर पर भी आसानी से मिल जाते है।
कैर का उपयोग
कैर का अचार
कैर की सब्जी, कढ़ी
कैर की लकड़ी से कृषि यंत्र
फूल, छाल, जड़ से औषधी बनाना
कैर के फायदे
मधुमेह में लाभकारी
कुषठरोगों का इलाज
चर्मरोगों का इलाज
पाचन ठीक रखे