कतरनी चावल | KATARNI RICE
Table of Contents
कतरनी चावल के विषय में –
कतरनी चावल अपनी खुशबू और स्वाद के लिए बेहद लोकप्रिय रहा है। यह बिहार राज्य के भागलपुर जिसे में सबसे अधिक उगाया जाता है। कहा जाता है पकने के बाद और पहले भी कतरनी चावल में से पॉप कॉर्न जैसी खुशबू आती है जो इसे बाकि चावल की किस्मों से अलग बनाती है। यह चावल आकार में छोटा होता है और चिपकता नहीं है। ये खाशियत कतरनी चावल की चानन नदी के बालू से आती है। चानन नदी के इलाकों के अलावा कहीं दूसरी जगह इस चावल की खेती की जाए तो ये चावल अपनी सुगंध खो देता है। इसी विशेषता के कारण कतरनी चावल को साल 2018 में जीआई टैग भी मिला चुका है।
भागलपुर की अर्थव्यवस्था –
भागलपुर जिला बिहार राज्य के पूर्वी भाग में गंगा नदी के दक्षिणी तट पर बसा हुआ है। भागलपुर के आस-पास बहने वाली चानन नदीं के कारण यहाँ की ज़मीन बेहद उपजाऊ है। खेती के लिए भागलपुर जिला काफी उपजाऊ है। यहाँ की मुख्य फसलों में चावल, गेंहूँ, मक्का, जौ और तिलहन शामिल हैं। एक खास किस्म का चावल भागलपुर में उगाया जाता है जिसे कतरनी चावल कहा जाता है, जो अपनी खास सुगंध के लिए जाना जाता है। भागलपुर में चानन नदी के किनारे अमरपुर, रजौन, कजरेली, भदरिया के साथ जगदीशपुर इलाके कतरनी चावल की खेती के लिए जाने जाते हैं।
कतरनी चावल को मिला ‘जीआई टैग’ –
1) साल 2017 में भा कतरनी चावल को जीआई टैग की सूची में शामिल किया गया।
3) पिछले हजारों सालों से कतरनी चावल की खेती भारत में की जा रही है।
4) माना जाता है कि भागलपुर में पहली बार कतरनी चावल को उगाने वाले महाराजा रहमत अली खां बहादुर थे।
5) जीआई टैग मिलने के बाद कतरनी चावलों की खेती में होने वाली सिंचाई की समस्या को दूर करने पर ध्यान दिया जाएगा।
Samagralay Review : Agro Heritage का कतरनी चावल
कतरनी चावल भारत में बिहार राज्य में उगाया जाने वाला एक अनोखा स्वाद वाला, सुगंधित, छोटे दाने वाला चावल है। मूल रूप से भागलपुर और बांका जिलों विशेषकर जगदीशपुर में उगाए जाने वाले कतरनी चावल की मांग न केवल बिहार में, बल्कि पूरे देश में है। पढ़िए Agro Heritage के भागलपुरी कतरनी चावल का रिव्यू…
⦿ पैकेजिंग :
पैकिंग एकदम सिंपल और साफ है। अभी Agro Heritage किसी लेबैलिंग के बिना ही पैकिंग कर रहे हैं। लेकिन प्रोडक्ट क्वालिटी में कोई कमी नहीं है। Agro Heritage नेचुरल तरीकों से ही कतरनी चावल की खेती की जाती है। भागलपुरी कतरनी चावल पोषण का एक प्राकृतिक स्रोत प्रदान करता है और दुनिया के कई हिस्सों में आहार का मुख्य हिस्सा है।
⦿ क्यों पड़ा कटरनी नाम :
कटरनी चावल का नाम ‘कटमी’ शब्द से बना है। ‘कटमी’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है ‘awl with a hook at the end for sewing’ सूआ लकड़ी या चमड़े में छेद करने का एक नुकीला उपकरण है। कटमी नाम धान के शीर्ष के आकार के कारण पड़ा है जो सूए की नोक के समान है।
कटरनी चावल देखने में काफी खूबसूरत लगता है। छोटे आकार के, सुई की नोक जैसे छोर वाले और सभी दाने एक समान लगते हैं कोई दाना दूसरे से अलग नहीं दिखता। इस तरह की खासियत किसी दूसरी किस्न के चावल में नहीं दिखती।
⦿ कैसे करें इस्तेमाल Dehraduni Basmati Rice :
कतरनी कच्चे चावल को पकाने से पहले 2-3 घंटे के लिए भिगो दें। इसे 1:4 के अनुपात में पकाएं (1 कप चावल के लिए 4 कप पानी डालें)। कृपया अपनी पसंद के अनुसार पानी का इस्तेमाल करें।
खाना पकाने से पहले कतर्नी रॉ पॉलिश चावल को 10 मीनट तक भिगोएँ। इसे 1:2.5 के अनुपात में पकाएं (1 कप चावल के लिए 2.5 कप पानी डालें)। कृपया अपनी पसंद के अनुसार पानी का इस्तेमाल करें।
⦿ हेल्दी चावल है Katarni :
Non factory made
Lowers cholesterol
Controls sugar levels
Aids in digestion
Premium quality Katarni rice (a specialty from Bihar)
⦿ सामग्रालय का अनुभव :
हमारे देश की विरासत में मिलने वाले चावलों की कई किस्में हमारे खान पान से दूर हो चुकीं हैं। Agro Heritage के प्रयास से Katarni Rice की इस किस्म को ना सिर्फ बचाया गया है बल्कि हमारे और आप सब के लिए पौष्टिक, स्वादिष्ट और विरासती किस्म के चावल को उगाया जा रहा है और सब के घरों तक पहुंचाया भी जा रहा है। सामग्रालय का अनुभव काफी अच्छा रहा। अब समय है आपके अनुभव में Agro Heritage के प्रयास को शामिल करने का। नीचे दिए गए नंबर पर जाकर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कतरनी चावल के व्यंजन
- पुलाव
- बिरयानी
- फिरनी
- खीर
- इडली
कतरनी चावल के फायदे
- प्रोटीन
- फ़ेनोलिक तत्व
- कार्बोहाइड्रेट्स
- पाचन में बेहततर
- कैंसर के खतरे से बचाव