गोबिंदोभोग चावल | Gobindo-bhog rice
गोबिंदोभोग चावल के विषय में –
प्राचीन समय से भारतीय थाली में दाल और चावल परोसने की परंपरा रही है। चावल की दुनियाभर में तकरीबन चालीस हजार से ज्यादा किस्में हैं। चावल के उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है। गोबिंदोभोग,चावलों की सबसे प्रसिद्ध किस्मों में से एक है। यह नाम एक भारतीय स्थानीय देवता गोविंदजी से लिया गया है, जिन्हें यह भेंट के रूप में परोसा गया था।
खास बात इस चावल के बारे में ये भी रही कि अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के भोग के लिए गोबिंदोभोग चावल को चुना गया था। दिलचस्प बात यह भी है कि पश्चिम बंगाल सरकार को गोबिंदोभोग के लिए जीआई टैग भी मिला। पूर्वी बर्दवान जिला और बिहार का कैमूर जिला इसके उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। कैमूर ज़िले का कटारनी चावल भी बहुत प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि गोबिंदोभोग और कटारनी चावल ईस्ट इंडिया कम्पनी से सम्बंधित व्यापारियों द्वारा लंदन भेजे जाते थे। कई देशों में इसकी बहुत माँग थी।
सफेद रंग, छोटे दाने, खुशबूदार और चिपचिपे किस्म के इस चावल में एक मीठे मक्खन जैसा स्वाद होता है। एस चावल को प्रोटीन से भरपूर और मल त्याग में सुधार करने वाला माना जाता है। इस चावल को पारंपरिक रूप से इसमें मिलने वाले उच्च प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट तत्वों के लिए जाना जाता है।
इस चावल का सेवन हमारी त्वचा को निखारता है और पाचन को बढ़ावा देता है। यह शरीर की चर्बी को जलाने में मदद करने के लिए भी जाना जाता है। यह एक प्रीमियम चावल है और विशेष अवसरों पर इसका उपयोग किया जाता है। जब गोबिंदोभोग का उपयोग किया जाता है तो खिचड़ी और पुलाव व्यंजनों को एक उत्साह मिलता है। बंगाल की इस किस्म ने धीरे-धीरे रसोइयों और खाने-पीने के शौकीनों का दिल जीत लिया।
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व्यंजन
गोबिंदोभोग खिचड़ी
बसंती पुलाव
बिरयानी
खीर
गोबिंद भोग चावल के फायदे
मल त्याग में सुधार
प्रोटीन, फाइबर से युक्त
त्वचा को निखारने में सहायक
एंटीऑक्सीडेंट तत्वों से भरपूर
स्वादिष्ट चावल है ये. पूजा में भी इस्तेमाल होता है।
Khichdi banane ke liye sabse best rice h Gobindobhog Rice.