Dehradun Basmati Rice | देहरादूनी बासमति चावल
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देहरादूनी बासमति चावल के विषय में
दून की बात करें और यहां उगने वाले चावल की बात न की जाए तो गलत होगा। देहरादूनी में पाए जाने वाले बासमति चावल यहां की खास उपज में से एक है। अधिकांश लोगों को मालूम नहीं होगा कि जिस ‘देहरादूनी’ बासमती की देश-दुनिया में धाक रही है, वह अफगानिस्तान से यहां आई थी।
अफगानिस्तान से जुड़ा है देहरादूनी बासमति चावल
दून की बात करें और यहां उगने वाले चावल की बात न की जाए तो गलत होगा। देहरादून में पाए जाने वाले बासमति चावल यहां की खास उपज में से एक है। अधिकांश लोगों को मालूम नहीं होगा कि जिस ‘देहरादूनी’ बासमती की देश-दुनिया में धाक रही है, वह अफगानिस्तान से यहां आई थी। यह जरूर है कि दून पहुंचने पर न केवल इसकी गुणवत्ता में निखार आया, बल्कि यह अपनी मिठास, महक और स्वाद के कारण दुनियाभर की पसंद बन गई।
इस बासमती को दून लाने का श्रेय अफगानिस्तान के शासक रहे दोस्त मोहम्मद खान बरकजई को जाता है। वर्ष 1839 से वर्ष 1842 तक चले तमाम उतार-चढ़ावों वाले ब्रिटिश-अफगान युद्ध में अफगान शासक दोस्त मोहम्मद खान की हार हुई और अंग्रेजों ने उसके पूरे परिवार को देश निकाला दे दिया। तब दोस्त मोहम्मद खान निर्वासित जीवन बिताने के लिए परिवार के साथ मसूरी (देहरादून) आ गया। वैसे तो इस परिवार को यहां की आबोहवा बहुत रास आई, पर यहां के चावल से संतुष्टि नहीं मिली।
अफगानिस्तान से मंगाया बीज
ऐसे में दोस्त मोहम्मद ने अफगानिस्तान से बासमती धान के बीज मंगवाए और उन्हें देहरादून की हसीन वादियों में बो दिए। मजा देखिए कि इस धान को न केवल दून की मिट्टी रास आई, बल्कि बासमती की जो पैदावार हुई, उसकी गुणवत्ता पहले की बनिस्बत और उम्दा थी। यह चावल जब गांव के किसी एक घर में पकता तो पूरे गांव को खबर हो जाती। इसकी खूशबू पूरे गांव की फिजा को महका देती थी।
धीरे-धीरे देहरादूनी बासमती की चर्चा पूरे भारत में होने लगी। व्यापारी देहरादून आते, खड़ी फसल की बोली लगाते और धान पकने पर उसे खेत से ही उठा ले जाते। एक दौर ऐसा भी आया, जब बासमती की खेती से पूरा इलाका महकने लगा। देहरादून के अलावा अब हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल में भी बासमती की बेशुमार खेती होने लगी। लेकिन, हर जगह इसे देहरादूनी बासमती ही कहा गया।
देहरादूनी बासमती की सबसे मुख्य विशेषता यह है कि देश-प्रदेश के दूसरे हिस्सों में इसकी उपज में यहां जैसी मिठास, महक और स्वाद पैदा नहीं हो पाता। परीक्षण के तौर पर देहरादूनी बासमती को देश के दूसरे हिस्सों में बोया भी गया, लेकिन सार्थक नतीजे सामने नहीं आए।
Samagralay Review : Rajvanshi Organic Farms का Dehraduni Basmati Rice :
शहरों में कितने ही अच्छे ब्रांड्स वाले बासमती चावल खरीद लिजिए, खुशबू ना के बराबर मिलेगी। चावलों में खुशबू गायब हो रही है लेकिन सामग्रालय है तो परेशानी किस बात की! हमनें ढूंढ लिया है खुशबूदार और ऑरगैनिक बासमती चावल वो भी उत्तराखंड के देहरादून से। पढ़िेए रिव्यू…..
⦿ आकर्षक और टिकाऊ पैकेजिंग :
किसी भी प्रोडक्ट को खरीदने से पहले नज़र जाती है उसकी पैकेजिंग पर, ठीक उसी तरह से हमारी नज़र अटकी Organic India ब्रांड के Dehraduni Basmati Rice के पैकेट पर, जो दिखने में बेहद ही खूबसूरत है। Zipper packet में चावल को पैक किया गया है जो easy to use भी है साथ ही east to store भी है। पैकेट मजबूत होने के साथ-साथ इसपर सुंदर गंगा नदी की तस्बीर भीलगाई गई है जिससे प्रोडक्टकी खूबसूरती बढ़ जा रही है। पैकेट की क्वालिटी काफी मजबूत है जो पैकेट के फटने या गीले होकर खराब होने वाली समस्या से प्रोडक्ट को बचाती है।
⦿ सबसे ज्यादा पसंद किया जाना वाला बासमती चावल :
देहरादून का बासमती चावल दुनिया में सबसे अधिक मान्यता प्राप्त और सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले बासमती चावल में से एक है, जो अपने स्वाद, सुगंध और लंबे समय तक चलने के लिए प्रसिद्ध है। देहरादून बासमती एक लंबा पतला, सुगंधित अनाज है जो पकने पर लंबाई में लगभग दोगुना हो जाता है।
Rajvanshi Organic Farms के उत्पाद हिमालय की हरी-भरी घाटियों में उगाए जाते हैं, जहां की प्राचीन जलवायु, स्वस्थ और प्राकृतिक उत्पादों की पैदावार के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करती है। इनके सभी उत्पाद हस्तनिर्मित और हाथ से उगाए गए हैं, साथ ही ये सुनिश्चित किया जाता है कि वे जैविक और ताज़ा हों।
⦿ कैसे करें इस्तेमाल Dehraduni Basmati Rice :
इसके चावल के दाने बड़े और लंबे होते हैं, जो कि खिलने पर फूलते हैं और भाप में सिकते हैं। इसका स्वाद नटी और प्योर होता है, जो कि खाने पर आपको असली चावल खाने का एहसास दिलाता है। देहरादून के बासमती चावल दुनिया भर में बासमती चावल के सबसे प्रामाणिक और शुद्धतम रूप के रूप में जाना जाता है।
100% प्राकृतिक चावल के दाने की लंबाई केवल पांच छह मिमी होती है लेकिन पकने पर लगभग दोगुनी हो जाती है। ध्यान रखें पकाने से पहले इस चावल को कुछ देर पानी में भिगोकर रखे उसके बाद ही इस्तेमाल करें। पकने के बाद चावल की लंबाई भी बढ़ जाती हा साथ ही खाने में खुशबू भी सुहानी मिलती है।
⦿ हेल्दी चावल है Dehraduni Basmati Rice :
देहरादून का बासमती चावल अपने आकार, सुगंध और स्वाद के लिए दुनिया भर में मशहूर है। इस बासमती चावल का नाम उत्तराखंड के देहरादून शहर से लिया गया है। बासमती की यह किस्म दून घाटी में 400-600 मीटर की ऊंचाई पर उगाई जाती है। देहरादून बासमती नरम, सुगंधित और छोटा दाना है जो पकने के बाद लंबा हो जाता है। यह पुलाव के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।
⦿ सामग्रालय का अनुभव :
हमारे देश की विरासत में मिलने वाले चावलों की कई किस्में हमारे खान पान से दूर हो चुकीं हैं। Rajvanshi Organic Farms के प्रयास से Dehraduni Basmati Rice की इस किस्म को ना सिर्फ बचाया गया है बल्कि हमारे और आप सब के लिए पौष्टिक, स्वादिष्ट और विरासती किस्म के चावल को उगाया जा रहा है और सब के घरों तक पहुंचाया भी जा रहा है। सामग्रालय का अनुभव काफी अच्छा रहा। अब समय है आपके अनुभव में Rajvanshi Organic Farms के Dehraduni Basmati Rice को शामिल करने का। नीचे दी गई वैबसाइट के लिंक पर जाकर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
देहरादूनी बासमति चावल उपयोग
- पुलाव
- खीर
- बिरयानी
- सामान्य चावल
देहरादूनी बासमति चावल के फायदे
- कैंसर के रिस्क को कम करे
- रोग-प्रतिरोध क्षमता बढ़ाए
- डायबिटीज को मैनेज करे
- डायरिया होने पर ठीक करे
- विटामिन B1 का अच्छा स्त्रोत