रागी | Finger Millet
रागी के विषय में –
रागी अनाज के विषय में
गेंहू के आटे से या अनाज से आजकल पेय से जुड़ी कई बीमारियाँ और एलर्जी की समस्याएं हमारे सामने आए-दिन आती रहती हैं। ऐसे में जरूरत है गेंहू के विक्लप खेजने की और नो विक्लप है रागी। जी हाँ, हमारी प्रकृति ने हमें कितना कुछ दिया है, बस हमें सबको संजो कर रखने की जरूरत है। प्रकृति के दिए हुए खाद्य पदार्थों में से एक अनाज है-रागी। रागी को मोटे अनाजों में गिना जाता है, जैसे बाजरा, ज्वार, जौं, मक्का आदि। रागी के बारे में कहा जाता है कि इसे 4000 साल पहले भारत में लाया गया था, जिसके कारण रागी को सबसे पुराने अनाजों में गिना जाता है।
कहाँ होती है रागी की खेती
भारत में सबसे अधिक रागी को कर्नाटक में उगाया जाता है। इसके साथ ही महाराष्ट्र, तमिलनाडू, राजस्थान, कुछ पहाड़ी इलाकों जैसे- उत्तराखंड, हिमाचल, अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम में भी उगाया जाता है।
रागी अनाज के फायदे
रागी के अनाज या रागी के आटे में फाइबर की अच्छी खासी मात्रा पायी जाती है। फाइबर वाले सामग्रियों के सेवन से आपका पेट भरा हुआ सा लगता है और भूख कम लगती है। जिसके कारण आप बिन समय कुछ भी खाने से बच जाते हैं, जो कहीं न कहीं आपके वजन को भी कंट्रोल करती है। रागी अत्यधिक पौष्टिक होने के साथ-साथ रागी के उपयोग से मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम की कमी, खून की कमी जैसे रोग ठीक हो सकते है। रागी अनाज, पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
रागी अनाज का सेवन
आप रागी का उपयोग रोटी के रूप में, हलुआ के रूप में, इडली डोसा के रूप में, लड्डू, बिस्किट आदि के रूप में कर सकते हैं। बता दें कि कुछ लोग रागी का उपयोग बर्फी बनाने में भी करते हैं। रागी का वानस्पतिक नाम- एलुसाइनी कोराकैना ( Eleusine coracana) है। हिंदी में रागी को मड़ुआ, नाचनी और अंग्रेजी में मिलेट कहते हैं।
व्यंजन
राागी की रोटी
हलुआ बनाने में इस्तेमाल
इडली डोसा, लड्डू, बिस्किट, बर्फी
रागी के फायदे
खून की कमी को बढ़ाना
कैल्शियम की कमी में लाभकारी
सुचारू पाचन तंत्र के लिए जरुरी
सामग्रालय, आपकी टीम अच्छा काम कर रही है। विभिन्न प्रकार के अनाज, हर्ब्स और अलग अलग जगहों में उगने वाली फसलों की जानकारी मिलती है यहां.
शुक्रिया.
Shukriya Satyawan for this feedback.