अश्वगंधा

अश्वगंधा या Withania somnifera, आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में उपयोग की जाने वाली एक लोकप्रिय जड़ी बूटी है। यह एक तरह की छोटी झाड़ी है जो Solanaceae परिवार का एक हिस्सा है। यह अलग-अलग रोगों के लिए और ज़्यादातर एक नर्व टॉनिक के रूप में (नसों पर आरामदायक प्रभाव डालने वाला) उपयोगी हो सकता है। अश्वगंधा को आमतौर पर इंडियन जिनसेंग या इंडियन विंटर चेरी कहा जाता है।

रोजमेरी

रोजमेरी

रोजमेरी भारतीय घरों में पाए जाना वाला एक हर्ब है जो ज्यादातर पौधे के तौर पर भी घरों में उगी हुई दिख जाती है। रोजमेरी बैंगनी रंग के फूलों वाला एक सदाबहार पौधा है जिसकी खुशबू अत्यधिक मनमोहक होती है। यही नहीं रोजमेरी में कई अलग-अलग प्रकार के स्वास्थ्यवर्धक लाभ होते हैं, जो इसे एक प्रभावी जड़ी-बूटी बनाते हैं।

महुआ

महुआ

महुआ की चर्चा हिंदी ही नहीं बल्कि भारत के अन्य प्रांतों के लोक साहित्य में भी मिलती है। महुआ आदिवासी और ग्रामीण खानपान में आज भी रचा बसा है। यह एक भारतीय उष्णकटिबंधीय वृक्ष है जो उत्तर भारत के मैदानी इलाकों और जंगलों में बड़े पैमाने पर पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम है मधुका इंडिका।

बुरांश

बुरांश

बुरांश पेड़ हिमालीय जंगलों के छुपे रहस्यों में एक है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में ट्रैकिंग करते समय आप बुरांश के पेड़ को उसके लाल फूल के साथ देख सकते हैं। इसका फूल रंग में हिबिसकस जैसा होता है। लेकिन आकार में उससे बड़ा होता है। इसकी पंखुड़ियां सख्त और रसीली होती हैं। इसका फूल असल में अलग अलग फली का एक गुच्छा होता है जो बारीकी से एक दूसरे से जुड़ा होता है।

कैमोमाइल

आपने Lemon Tea, Mint tea, Green Tea व Ginger Tea का कभी न कभी सेवन जरूर किया होगा। कभी स्वाद के लिए तो कभी सेहत के लिए। लेकिन आज हम आपको इन सबसे अलग एक चाय के बारे में बता रहे हैं, वो है कैमोमाइल टी/Chamomile Tea। दरअसल कैमोमाइल टी सबसे हेल्दी ड्रिंक्स में से एक है जो एक तरह की हर्बल चाय भी है और जो काफी लोकप्रिय भी है। आपको बता दें कि कैमोमाइल/Chamomile मूल रूप से एक जड़ी-बूटी है जो एक फूल है। कैमोमाइल चाय को कैमोमाइल/Chamomile नामक फूलों की मदद से ही बनाया जाता है।

रोज़ेल

रोज़ेल

Rosella एक प्रकार का फूल है जो बिहार, झारखंड, मणिपुर, आंध्र-प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र आदि जिलों में पाया जाता है। इस फूल से शरबत, चटनी, पत्तों की सब्जी बनाई जाती है जो स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद बताया गया है।

महाराष्ट्र के सोग स्थानीय आदिवासी भाषा में रोसेल को खाते फूले कहते हैं। यहां पर रोसेल के पत्तों की चटनी बनाई जाती है जो स्वाद में हल्की खट्टी होती है और ज्वार या बाजरे की रोटी के साथ खाई जाती है। क्योंकि इसके हरे पत्तों में हल्की खटास पाई जाती है।

नीली चाय

नीली चाय

नीली चाय या ब्लू टी को ब्लू बटरफ्लाई यानी अपराजिता के फूलों से बनाया जाता है, जो डायबिटीज के रोगियों के लिए काफी अच्छी मानी जाती है। अपराजिता के फूल को शंखपुष्पी भी कहते हैं। माना जाता है कि अपराजिता के फूलों से बनी चाय सेहत के लिए काफी लाभदायक होती है। इस चाय के सेवन से काफी तेजी से वजन घटता है।

अशोक छाल

अशोक का पेड़ (Ashok Tree) कई बीमारियों के लिए रामबाण औषधि (Medicine) माना गया है। अशोक के पेड़ की छाल, पत्ते, जड़ या इसके फूल, ये सभी आयुर्वेद (Ayurveda) में औषधीय के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। इस पेड़ का सबसे ज्यादा उपयोग महिलाओं को होने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए होता है। अशोक में विभिन्न औषधीय गुण हैं, विशेष रूप से इसकी छाल और पत्ते।