चिकौरी

चिकौरी

चिकौरी एक बारहमासी खिलने वाला पौधा है जिसे हिंदी में कासनी के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद में कासनी या चिकौरी को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। चिकौरी के पत्ते काहू के पत्तों की तरह दिखते हैं जिनमें चमकीले नीले रंग के फूल खिलते हैं। चिकौरी या कासनी दो प्रजातियों की होती है, जंगली और खेती करने वाली। जंगली चिकौरी में स्वाद में कड़वी होती है जबकि खेती करने वाली चिकौरी की पत्तियों को अधिक शीतल और तर माना गया है।

इसबगोल

इसबगोल

इसबगोल एक औषधीय जड़ी बूटी है और भारत के प्रमुख व्यावसायिक फसलों में से एक है। इसमें प्रचूर मात्रा में उच्च फाइबर होता है जो आंतों को साफ करने में मदद करता है और आंतों की समस्याओं के लिए एक पारंपरिक दवा के रूप में कार्य करती है। उच्च फाइबर आहार के लाभों के बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ, इसबगोल की फार्मा और खाद्य संसाधन उद्योगों में इसबगोल की मांग काफ़ी ज़्यादा है ।

ट्राउट मछली

ट्राउट मछली

ट्राउट मछली मीठ पानी की मछली की प्रजाति होती हैं, जो जेनेरा, ओन्कोरहिन्च्स, साल्मो और साल्वेलिनस से संबंधित हैं। ट्राउट मछली साल्मोनिडे परिवार की हा सबफैमिली हैं। ट्राउट मछली केवल ठंडे और मीठे पानी में ही पाई जाती है और वहीं पर पैदा होती हैं। ट्राउट मछली विभिन्न प्रकार की होती है -जैसे रेंबो ट्राउट फिश, गोल्डन ट्राउट फिश, ब्राउन ट्राउट फिश, लेक ट्राउट फिश, डॉली वार्डन ट्राउट फिश, गिला ट्राउट फिश, टाइगर ट्राउट फिश इत्यादि।

अरारोट

अरारोट

अरारोट हमारे रसोईधर में मसालों के डिब्बों के बीच कहीं सफेद पाउडर के रूप में छुपा हुआ सा रहता है, जानते हैं
क्यों ? क्योंकि अरारोट एक तरह की जड़ी-बूटी होती है जिसे कुछ खास तरह के व्यंजन बनाते समय ही इस्तेमाल किया जाता है। अरारोट एक सफेद रंग का पाउडर होता है जिसे खाने को गाढ़ा करने या डीप फ्रायड करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अरारोट का अपना कोई स्वाद नहीं होता है इसलिए इसे किसी भी व्यंजन में मिला सकते हैं।

साबूदाना

साबूदाना

भारत में साबूदाने को इतना शुद्ध माना जाता है कि इसे लोग व्रत में फलाहाकर के रुप में खाते हैं। इसकी खिचड़ी, खीर, पापड़ और अन्य व्यंजन वनाए जाते हैं जिन्हें लोग बड़े चाव से खाते हैं। यह पौष्टिक आहार इतना हल्का होता है कि बहुत जल्दी पच जाता है. इसे व्रत में खाने का एक मुख्य कारण यह है कि इसमें कार्बोहाइड्रेट की अधिक के साथ साथ कैल्शियम और विटामिन-सी भी पाया जाता है.

खाद्य गोंद (बबूल)

खाद्य गोंद (बबूल)

जो बोए पेड़ बबूल का, तो गोंद वहीं से पाए….

कहावत तो ये है कि जो बोए पेड़ बबूल का, तो आम कहां से पाए… लेकिन कहावत से इतर सच्चाई ये है कि बबूल का पेड़ बोने पर गोंद जरुर हासिल की जा सकती है, जो सेहत के लिए बड़ी फायदेमंद है। बबूल के पेड़ों की अलग-अलग किस्मों मतलब बबूल के पेड़ की राल से इकट्ठा किए रस से खाद्य गोंद बनाई जाती है।