कठिया गेंहू

कठिया गेंहू

कठिया गेहूं कई बीमारियों के खिलाफ असरदार है। गैस की बीमारी के दौरान इस गेहूं के सेवन की सलाह दी जाती है। इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन A, फाइबर, ऑक्सीडेंट भी मौजूद है। साथ ही इसका उपयोग उपयोग बिस्किट, सूजी, दलिया, उपमा आदि के रूप में किया जाता है। दक्षिण भारत में लोग इसको नाश्ते के रूप में प्रयोग करते हैं। इसकी उत्पादकता प्रति बीघे 2 क्विंटल से 25 क्विंटल तक है। बाजार में इसकी कीमकत 3500 रु प्रति क्विंटल है।

कतरनी चावल

कतरनी चावल

कतरनी चावल अपनी खुशबू और स्वाद के लिए बेहद लोकप्रिय रहा है। यह बिहार राज्य के भागलपुर जिसे में सबसे अधिक उगाया जाता है। कहा जाता है पकने के बाद और पहले भी कतरनी चावल में से पॉप कॉर्न जैसी खुशबू आती है जो इसे बाकि चावल की किस्मों से अलग बनाती है। यह चावल आकार में छोटा होता है और चिपकता नहीं है। ये खाशियत कतरनी चावल की चानन नदी के बालू से आती है।

देहरादूनी बासमति चावल

देहरादूनी बासमति चावल

दून की बात करें और यहां उगने वाले चावल की बात न की जाए तो गलत होगा। देहरादून में पाए जाने वाले बासमति चावल यहां की खास उपज में से एक है। अधिकांश लोगों को मालूम नहीं होगा कि जिस ‘देहरादूनी’ बासमती की देश-दुनिया में धाक रही है, वह अफगानिस्तान से यहां आई थी।

भलिया गेहूं

भलिया गेहूं

साल 2011 में भलिया गेहूं को GI Tag मिल चुका है जो इस गेहूं की गुणवत्ता के कारण मिला जिसमें हाई-प्रोटीन और गेहूं में मिठास शामिल है। भालिया गेहूं ड्यूरम (durum) गेहूं की एक किस्म है जो अपनी कठोर बनावट और उच्च प्रोटीन सामग्री के लिए जानी जाती है। यह पास्ता/ Pasta, कूसकूस (couscous/कुस्कस ड्यूरम गेहूं से बने सूजी के दानों का एक रूप है।

सोलापुर ज्वार

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले की तालुका ‘मंगलवेधा’ में पिछले लगभग 500 सालों से मोटा अनाज उगाया जा रहा है, ख़ासकर यहां की ज्वार। सोलापुर जिले की काली मिट्टी यहाँ उगाई जाने वाली ज्वार की फसल को पौष्टिक और आर्थिक रूप से किसानों को समृद्ध बना रही है। ज्वार की रोटी पौष्टिक तो बहुत होती है लेकिन ज़्यादातर लोगों और खासतौर पर बच्चों को पसंद नहीं आती। इसीलिए ज्वार अधिकतर कम ही उपयोग में लाई जाती है। ऐसे में पौष्टिक चीजों को नए तरीकों से स्वादिष्ट बनाया जा रहा है।

तूर दाल

दशकों पहले के समय में ही कर्नाटक में उगने वाले मसाले भारत के बाहर यूरोप तक के रसोईघरों में काफी प्रचलित रहे हैं। उस वक्त कर्नाटक में उगने वाले मसालों को दूसरे राज्यों जैसे केरल और मुम्बई से समुद्री रास्तों के जरिए यूरोप में निर्यात किया जाता था। कर्नाटक में काली मिर्च, इलाइची, दालचीनी, लौंग आदि मसाले ज्यादातर उगाए जाते हैं। आज भी कर्नाटक भारत में सबसे अधिक काली मिर्च उगाने वाला राज्य है। कालाबुरागी एक जिला है जो कर्नाटक राज्य के ही उत्तर में स्थित है।

जोहा चावल

जोहा चावल

भारत में 6 हजार से भी ज्यादा चावल की किस्में उगाई जाती हैं. जिसमें सफेद चावल हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। सफेद चावल कच्चे चावल का अत्यधिक शुद्ध रूप है। दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने के बावजूद सफेद चावल सेहत के लिए ठीक क्यों नहीं माने जाते? चोकर और अंकुरित सामग्री को अगर डेली डाइट में लिया जाए, तो वह काफी फायदेमंद होती है। इनमें फाइबर के साथ-साथ पोषक तत्व भी होते हैं, जो सेहत के लिए लाभदायक होते हैं। आज जानेंगें चावल की एक किस्म ‘राजामुड़ी चावल’ के बारे में।

काला जीरा चावल

काला जीरा चावल

बासमती धान की कई किस्मों की जानकारी हमें नहीं होती। आमतौर पर लोगों को सिर्फ़ इतना ही पता होता है कि हाँ यह बासमती चावल है, यह अरवा चावल है या फिर एक दो किस्मो की जानकारी और होती है उससे ज़्यादा नहीं। लेकिन बासमती धान का ही एक क़िस्म होता है जिसका नाम है “काला जीरा चावल / Kala Jeera Rice ” आज इसी के बारे में हम आपको बताने वाले हैं। इसकी खेती कर किसान अच्छी आमदनी कर रहे हैं।