मुनस्यारी राजमा

सात हजार फीट से अधिक ऊंचाई वाले उच्च हिमालयी आदि गांवों में पैदा होने वाली राजमा को मुनस्यारी के राजमा नाम से जाना जाता है। अपने स्वाद के चलते विशेष पहचान रखती है। मैदानी क्षेत्रों में पैदा होने वाली राजमा से आकार में कुछ बड़ी सीमांत की राजमा पूरी तरह जैविक तरीके से उत्पादित की जाती है। इसके उत्पादन में किसी तरह की रासायनिक खाद का उपयोग नहीं होता है।

ब्लैक किडनी बीन्स

राजमा-चावल हर लगभग हर किसी का स्वादिष्ट भोजन रहा है। देश-विदेश में राजमा की अनेक किस्में पायी जाती हैं। लाल, सफेद, काला, भूरा, पहाड़ी राजमा, हरसिल राजमा, आदि आदि। सामग्रालय परिवार से जुड़ा है एक नए किस्म का राजमा जिसे अंग्रेजी में Black Speckled Kidney Beans कहा जाता है। अब हिंदी में इसे आप काले छिद्रित राजमा कह सकते हैं। Black Speckled मतलब काले धारीदार या धब्बेदार किडनी बीन्स। काले छिद्रित राजमा, जो कि अन्य विभिन्न फसलों में मशहूर होते हैं, भारत और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में खासकर उगाये जाते हैं। ये फलियां बेहद पोषणयुक्त होती हैं, जो भोजन का एक महत्वपूर्ण अंग होते हैं।

जौं

जौं

भारत देश अपनी विभिन्नताओं  के लिए दुनिया भर में जाना जाता है । चाहे वो खान – पान हो या कला ,चाहे वो भाषा हो या पहनावा हर क्षेत्र में  विभिन्नताओं के बावजूद हम एक – दूसरे की संस्कृति को  अपनाने में बिलकुल परहेज़ नहीं करते।  अब अगर रोटियों की बात करें तो हमारे देश में बहुत प्रकार के आटे  की रोटियां बनती है।

राजामुड़ी चावल

राजामुड़ी चावल

भारत में 6 हजार से भी ज्यादा चावल की किस्में उगाई जाती हैं. जिसमें सफेद चावल हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। सफेद चावल कच्चे चावल का अत्यधिक शुद्ध रूप है। दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने के बावजूद सफेद चावल सेहत के लिए ठीक क्यों नहीं माने जाते? चोकर और अंकुरित सामग्री को अगर डेली डाइट में लिया जाए, तो वह काफी फायदेमंद होती है। इनमें फाइबर के साथ-साथ पोषक तत्व भी होते हैं, जो सेहत के लिए लाभदायक होते हैं। आज जानेंगें चावल की एक किस्म ‘राजामुड़ी चावल’ के बारे में।

थालीपीठ आटा

थालीपीठ आटा

थालीपीठ एक स्वादिष्ट बहु-अनाज फ्लैटब्रेड है जो पश्चिमी भारत, विशेषकर महाराष्ट्र में लोकप्रिय है। थालीपीठ के लिए आटा, जिसे भजनी (bhajanee) कहा जाता है, भुने हुए अनाज, फलियां और मसालों से तैयार किया जाता है। सामग्री में चावल, गेहूं, बाजरा और ज्वार जैसे अनाज शामिल हैं। चना और उड़द जैसी फलियाँ और मसाले, आमतौर पर धनिया और जीरा।

शरबती गेहूं

शरबती गेहूं

शरबती गेहूं जिसे गोल्डन ग्रेन (Golden Grain) भी कहा जाता है, वो प्रीमियम वैरायटी है, जो रंग, रूप और गुण में बाकी गेहूं से कहीं ज्यादा बलवान है। मध्य-प्रदेश, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश, आदि राज्यों में शरबती गेंहू उगाया जा रहा है। मध्य प्रदेश के सिहोर में इस गोल्डन ग्रेन की खेती की जाती है, जिसके भाव बाजार में साधारण गेहूं से कहीं अधिक है। इतना ही नहीं, दिल्ली जैसे बड़े-बड़े शहरों में इसका आटा भी महंगा बिकता है।

कोदरा

कोदरा

कोडो कहें या कहें कोदरा या फिर कोडो मिलेट, सब एक ही अनाज के नाम हैं। कोडो अनाज एक तरह से बाजरे जैसा अनाज होता है। यह अनाज सेहत के लिए काफी लाभदायक बाताया गया है जो भारत में लगभग हर राज्य में उगाया जाता है या खुद से भी उग जाता है। ज्यादातर उत्तर भारत के उत्तर-प्रदेश राज्य के साथ हिमाचल प्रदेश, केरल, तमिलनाडु में उगाया जाता है।

काली सोयबीन

काली सोयबीन

बांस या बांस की लकड़ी के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन बांस को खाने में इस्तेमाल करने के बारे में कम ही लोग जानते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं Bamboo Shoots की जो बांस के पेड़ के साथ किनारे पर उग आते हैं जो कि सामान्य बांस के मुकाबले काफी नरम होते हैं। बांस की टहनी कहें या Bamboo Shoots, इसे कई देशों में खाया जाता है और इससे बनने वाली डिश काफी पसंद की जाती है। खासकर पूर्वी भारत में इसे बड़े चाव से खाया जाता है।