जिनसेंग

जिनसेंग

जिनसेंग एक औषधीय जड़ी-बूटी है जिसे जड़ के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसका उपयोग वैसे तो अधिकतर रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है जैसे इम्यून सिस्टम को ठीक रखना साथ ही संक्रामक रोगों को से लड़ने के लिए शरीर को ताकत देता है।

सफेद मूसली

सफेद मूसली

सफेद मूसली एक औषधीय जड़ी-बूटी है। यह एक दुर्लभ जड़ी-बूटी है। दुनियाभर के दवाई निर्माता इसकी खोज में रहते हैं और खरीद करते हैं। उत्पादन कम होने और फायदे अनेक होने के कारण इसकी मांग ज्यादा है। औषधीय क्षमता होने के कारण सफेद मूसली की पूरी दुनिया में मांग तेजी से बढ़ रही है जिससे अब इसकी व्यवसायिक खेती भी होने लगी है।

हिना  (मेंहदी)

हिना (मेंहदी)

हिना कहें या कहें मेंहदी, सदियों से हमारे भारतीय घरों का हिस्सा रही है। हिना (मेंहदी) एक पुष्पीय और काँटेदार पौधा है। हिना (मेंहदी) को सबसे अधिक बालों को डाई करने, हाथों पर लगाने के काम में इस्तेमाल किया जाता है। हिना (मेंहदी) का इन सब के अलावा भी इस्तेमाल किया जाता है जैसे- चमड़ा और ऊन को रंगने के काम में भी इस्तेमाल जाता है।

भृंगराज

भृंगराज

भृंगराज एक ऐसी जड़ी-बूटी है जिसे सबसे ज्यादा बालों के फायदों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बालों को लंबा, घना और काला बनाने वाले फायदों के साथ-साथ भृंगराज के दूसरे शारीरिक फायदें भी हैं। भृंगराज पौधे को इसकी जड़, तना, पत्तियों और फूल मतलब की हर भाग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस पौधे में बेलनाकार भूरे रंग का तना होता है और गहरे रंगी की पत्तियां होती जिममें सफेद रंग के सूरजमूखी जैसे छो-छोटे फूल आते हैं।

शिकाकाई

शिकाकाई

शिकाकाई भारत की प्राचीन वनस्पति है, जो हजारों साल से बालों की देखभाल के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। शिकाकाई का वैज्ञानिक नाम एकेशिया कॉनसिना मूल का झाड़ीदार पेड़ है जो, मध्य और दक्षिण भारत के गर्म मैदानों में बहुतायत से पाया जाता है। शिकाकाई को कई नामों से जाना जाता है जैसे – संस्कृत में सप्तला, केश्या, चर्मकषा कहते हैं।

हलीम

हलीम

हलीम एक तेजी से बढ़ने वाली खाद्य जड़ी-बूटी है जो वनस्पति रूप में वॉटरक्रेस और सरसों से संबंधित है। हलीम को अंग्रेजी में गार्डन क्रेस सीड्स भी कहते हैं। महाराष्ट्र में इसे हलीवा सीड्स के नाम से लोकप्रिय है। हलां छोटे लाल रंग के बीज होते हैं जो आयरन, फोलेट, फाइबर, विटामिन-सी, ए, ई और प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों का एक पावर हाउस भी कह सकते हैं।

मकोय

मकोय

हमारी प्रकृति में इंसान के स्वास्थ्य के लिए अनेक वनस्पतियां प्रदान की हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में हमें उनके औषधीय गुणों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती हैं। ऐसी ही एक वनस्पति का नाम है ‘मकोय’। मकोय भारत और श्रीलंका में पाई जाती है। इसकी खेती तो नहीं होती है मगर ये खेलों के आस-पास झाड़ीनुमा पौधों के तौर पर हमें दिख जाती है। मकोय को कामकाची, भटकोंइया, कामकाच और अंग्रेजी में नाईटशेड भी कहते हैं।

पेरिला बीज

पेरिला बीज

हमारे देश का पहाड़ी इलाका जड़ी-बूटियों से भरा हुआ है। ऐसा ही एक औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है जिसका नाम है पेरिला। पेरिला पौधे के बीज को बड़े चाव से पहाड़ी इलाकों में खाया जाता है। स्थानीय भाषा में इसे भंगजीरा कहा जाता है। पहाड़ी लोग पेरिला के बीजों की चटनी बनाकर खाते हैं। इसके प्रमुख उत्पादक देश चीन, भारत, जापान, कोरिया, थाईलैंड और अन्य पूर्वी एशियाई देश हैं।