छोटी हरड़

छोटी हरड़

पेट की परेशानी होने पर सबसे पहले हरड़ का ही जिक्र सुनाई देता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि हरड़ भी दो प्रकार की होती हैं छोटी हरड़ और बड़ी हरड़। दोनों हरड़ एक ही पेड़ पर उगती है। छोटी हरड़ भारत में पाई जाने वाली एक खास प्रकार की जड़ी-बूटी है। जब हरड़ के वृक्ष से प्राप्त होने वाले फल में गुठली विकसित होने से पहले ही उसे तोड़ कर सुखा दिया जाता है, तो वह छोटी हरड़ बन जाती है।

तिरूर पान पत्ता

तिरूर पान पत्ता

भारत देश में पान के पत्तों की 500 से भी अधिक किस्में पायी जाती हैं। पान के पत्तों के लिए बारिश वाले इलाके ज्यादा बेहतर होते हैं। जिन राज्यों में लगाततार बरसात होने या नमी वाली मिट्टी पायी जाती है वहां के पान के पत्तों में औषधीय गुण अधिक पाए जाते हैं। पान की खेती को ‘ग्रीन गोल्ड’ भी कहा जाता है। केरल राज्य का मल्लापुरम जिला पान के पत्तों की खेती के लिए जाना जाता है।

मैसूर पान

मैसूर पान

लगभग 50 साल पहले, मैसूर पान के पत्ते मैसूर महाराजा के बगीचों में उगाए गए थे और बाद में पुराने अग्रहारा में पूर्णिया चूल्ट्री से विद्यारण्यपुरम जंक्शन तक फैले हुए थे, जो मैसूर में मैसूर-नंजनगुड रोड को जोड़ता है। धीरे-धीरे यह मैसूर के आसपास लगभग 500 एकड़ में फैल गया। इन पत्तों को पान के रूप में तंबाकू के साथ या बिना तंबाकू के भी खाया जाता है।

कुटकी

कुटकी

हिमालयन प्रदेशों में अनगिनत जड़ी-बूटियाँ पाईं जाती हैं जो हमारे स्वास्थ और पहाड़ी जीवन और दिनचर्या का हिस्सा बनती हैं। ऐसी ही पहाड़ी जड़ी-बूटी है ‘हिमालयन फरन’ जो उत्तराखंड में अधिक तौर पर पाई जाती है। यह जड़ी-बूटी कई स्वास्थय लाभों के मामले में अविश्वसनीय है। फरन के बारे में दिलचस्प जानकारी ये है कि ये प्याज परिवार से संबंधित है और उत्तराखंड की अल्पाइन घास के मैदानों में मूल रूप से पाई जाती है।

हिमालयन फरन

हिमालयन फरन

हिमालयन प्रदेशों में अनगिनत जड़ी-बूटियाँ पाईं जाती हैं जो हमारे स्वास्थ और पहाड़ी जीवन और दिनचर्या का हिस्सा बनती हैं। ऐसी ही पहाड़ी जड़ी-बूटी है ‘हिमालयन फरन’ जो उत्तराखंड में अधिक तौर पर पाई जाती है। यह जड़ी-बूटी कई स्वास्थय लाभों के मामले में अविश्वसनीय है। फरन के बारे में दिलचस्प जानकारी ये है कि ये प्याज परिवार से संबंधित है और उत्तराखंड की अल्पाइन घास के मैदानों में मूल रूप से पाई जाती है।

सप्पनवुड | पेथिमुगम

सप्पनवुड | पेथिमुगम

केरल, यहां उगने वाले मसालों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इसे गहरी आयुर्वेद परंपराओं और बीमारियों के इलाज के लिए प्राकृतिक मसालों के उपयोग के लिए भी जाना जाता है। आज यहाँ आप पढ़ेंगे सप्पनवुड के बारे में जो केरल राज्य में घर-घर में उपयोग में लाया जाता है। सप्पनवुड एक प्रकार की लकड़ी होती है जिसे पानी को साफ करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है और केरल राज्य में सप्पनवुड बड़े स्तर पर उगता है।

स्टीविया

स्टीविया

रिफाइंड शुगर या कहें चीनी… सेहत के लिए कितनी ज्यादा नुकसानदायक है, इस बात का शायद अंदाजा भी लोगों को नहीं है। वहीं फिटनेस फ्रीक लोग अक्सर रिफाइंड शुगर से दूरी तो बना लेते हैं लेकिन इसके विक्ल्प के बारे में नहीं जानते। यानी की अगर आप चीनी का सेवन नहीं करना चाहते या चीनी की मात्रा आपनी दिनचर्या में कम करना चाहते हैं तो चानी की जगह पर क्या इस्तेमाल किया जाए जो शुगर लैवल का बढ़ाए भी ना और सेहत का भी ख्याल रखे। ऐसे में पता चला शुगर के एक सबसे बेहतरीन विकल्प के बारे में जिसका नाम है स्टीविया। स्टीविया नेचुरल शुगर लेने का एक बेहतरीन जरिया है। यह न केवल चीनी से ज्यादा मीठा है बल्कि फायदेमंद भी है।

वन तुलसी

वन तुलसी

भारत में तुलसी एक अतिपवित्र पौधा माना जाता है। विशेषतः वनतुलसी का भारतीय मंदिरों में काफी उपयोग किया जाता है, जहाँ लक्ष्मी के अवतार के रूप में इसकी पूजा की जाती है। इसके अलावा पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी इसका उपयोग किया जाता है। माना जाता है इस पौधे की कई प्रजातियों में वनतुलसी सबसे स्वादिष्ट और सबसे कठिनता से उगाई जाने वाली किस्म है। अत्यधिक गुणकारी और लोकप्रिय वनतुलसी को मीठी तुलसी के रूप में भी जाना जाता है।