महुआ

महुआ

महुआ की चर्चा हिंदी ही नहीं बल्कि भारत के अन्य प्रांतों के लोक साहित्य में भी मिलती है। महुआ आदिवासी और ग्रामीण खानपान में आज भी रचा बसा है। यह एक भारतीय उष्णकटिबंधीय वृक्ष है जो उत्तर भारत के मैदानी इलाकों और जंगलों में बड़े पैमाने पर पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम है मधुका इंडिका।

बुरांश

बुरांश

बुरांश पेड़ हिमालीय जंगलों के छुपे रहस्यों में एक है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में ट्रैकिंग करते समय आप बुरांश के पेड़ को उसके लाल फूल के साथ देख सकते हैं। इसका फूल रंग में हिबिसकस जैसा होता है। लेकिन आकार में उससे बड़ा होता है। इसकी पंखुड़ियां सख्त और रसीली होती हैं। इसका फूल असल में अलग अलग फली का एक गुच्छा होता है जो बारीकी से एक दूसरे से जुड़ा होता है।

रोज़ेल

रोज़ेल

Rosella एक प्रकार का फूल है जो बिहार, झारखंड, मणिपुर, आंध्र-प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र आदि जिलों में पाया जाता है। इस फूल से शरबत, चटनी, पत्तों की सब्जी बनाई जाती है जो स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद बताया गया है।

महाराष्ट्र के सोग स्थानीय आदिवासी भाषा में रोसेल को खाते फूले कहते हैं। यहां पर रोसेल के पत्तों की चटनी बनाई जाती है जो स्वाद में हल्की खट्टी होती है और ज्वार या बाजरे की रोटी के साथ खाई जाती है। क्योंकि इसके हरे पत्तों में हल्की खटास पाई जाती है।

गुड़हल

गुड़हल

गुड़हल या जवाकुसुम वृक्षों के मालवेसी परिवार से संबंधित एक फूलों वाला पौधा है। इसका वनस्पतिक नाम है- हीबीस्कूस् रोज़ा साइनेन्सिस। गुड़हल के फूल को जमाएका के नाम से भी जाना जाता है। एक ओर जहां ये फूल देखने में बहुत सुंदर और नाजुक होता है वहीं कई तरह से फायदेमंद भी है।

खैर का पेड़

खैर का पेड़

भारत में सजावटी पौधे के साथ -साथ व्यावसायिक खेती वाला फूल जापान का राष्ट्रीय पौधा बन चुका है। गुलदाउदी की खेती Guldaudi Plant हजारों वर्ष पूर्व एशिया के भारत तथा चीन वाले भू-भाग से होते हुए इंग्लैंड, जापान, अमेरिका एवं विश्व के अन्य भागों में पहुंच गई है। इसकी खेती बहुत ही सहज एवं सरल है। इसे अच्छी धूप की आवश्यकता होती है और इसे तेज आंधी, गर्मी एवं बर्फवारी से बचाना चाहिए। जापान में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है एवं इसे वहां के राष्ट्रीय पुष्प का दर्जा प्राप्त है।

गुलदाउदी

गुलदाउदी

भारत में सजावटी पौधे के साथ -साथ व्यावसायिक खेती वाला फूल जापान का राष्ट्रीय पौधा बन चुका है। गुलदाउदी की खेती Guldaudi Plant हजारों वर्ष पूर्व एशिया के भारत तथा चीन वाले भू-भाग से होते हुए इंग्लैंड, जापान, अमेरिका एवं विश्व के अन्य भागों में पहुंच गई है। इसकी खेती बहुत ही सहज एवं सरल है। इसे अच्छी धूप की आवश्यकता होती है और इसे तेज आंधी, गर्मी एवं बर्फवारी से बचाना चाहिए। जापान में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है एवं इसे वहां के राष्ट्रीय पुष्प का दर्जा प्राप्त है।