कुटकी | Kutki
कुटकी विषय में
कुटकी एक औषधिया पौधा होता है. यह बहुत ही कड़वा एवं बारहमासी बहुवर्षीय पौधा है और इसकी पत्तियां 5 से 10 सेंटीमीटर लम्बी और पैनी होती हैं. इसे कटुकी कटुका, कुरु, कटवी, कटकी और कतूरोहिनी आदि विभिन्न नामों से भी जाना जाता है. प्राचीन काल से ही इसका उपयोग औषधि बनाने के लिए किया जाता रहा है. इसकी खेती देश के विभिन्न राज्यों जैसे कि हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की पहाड़ियों पर की जाती है.
कुटकी हिमालयन क्षेत्रों में पाई जाने वाली एक जड़ी-बूटी है जिसका उपयोग आयुर्वेद में मुख्य रूप से बार-बार होने वाले बुखार, त्वचा विकार और मधुमेह के इलाज के लिए किया जाता है। कुटकी दरअसल एक लंबी पत्तियों वाला पौधा होता है जिसमें सफेद और नीले रंग के फूल खिलते हैं और प्रयोग में लाने के लिए इसकी जड़ और तने को पाउडर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
कुटकी सामान्यत: हिमालय क्षेत्रों में पाई जाती है इसीलिए इसे हिमालयन कुटकी भी कहा जाता है। यह पचने में हल्की और कफ की परेशानी को ठीक करने वाली और भूख बढ़ाने वाली जड़ी-बूटी है। इसके साथ ही कुटकी को सांसों की बीमारी (सांस फूलना या सांस उखड़ना), सूखी खांसी, खून की अशुद्धता, शरीर की जलन, पेट के कीड़े, मोटापा, जुकाम आदि रोगों में भी फायदा पहुंचाती है।
कुटकी वायरल हेपेटाइटिस के इलाज के लिए बहुत मददगार होता है। यग प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देती है। 10 ग्राम कुटकी पाउडर को 240 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम बच्चों को खिलाने से कई रोग ठीक हो जाते हैं। कुटकी को पानी में पीस कर इसके घोल का लेप बच्चों के शरीर पर लगाया जाए तो बुखार समाप्त हो जाता है। इसके अलावा कुटकी पाउडर में मिश्री और शहद मिलकार चाटने से भी बच्चों का बुखार समाप्त हो जाता है।
कुटकी का सेवन
कुटकी का काढ़ा
पाउडर के रूप में
गर्म पानी के साथ
शहद, मिश्री के साथ
कुटकी के फायदे
खून साफ करे
बुखार का इलाज
मधुमेह का इलाज
पाचकी की समस्या दूर करे