जटामांसी | Jatamansi
जटामांसी के विषय में –
सेल्फ ग्रूमिंग पर ध्यान देना बेहद जरूरी होता है, ऐसे में आयुर्वेद आपकी मदद करता है। बालों की समस्या हम सबके साथ होती है। पुराने आयुर्वेदिक खजाने में मजबूत और हेल्दी बालों का राज छुपा है। जटामंसी एक ऐसी ही जड़ी-बूटी है जो बालों में नई जान डाल देती है। जटामांसी एक तरह की जड़ी-बूटी है जो जिसका उपयोग बालों की जड़ों के लिए काफी फायदेमंद होता है। जटामांसी को इसके तेल के लिए अधिक उपयोग किया जाता है। जटामांसी की जड़ों से उसका तेल तैयार होता है।
यह प्रजाति कश्मीर से लेकर भूटान और खासी पहाड़ियों तक समशीतोष्ण हिमालय में अक्सर पाई जाती है। यह उत्तर-पश्चिमी हिमालय में 1800-3000 मीटर की ऊंचाई पर और असम और उत्तर-पूर्वी भारत में 1200 मीटर से 1800 मीटर के बीच स्वाभाविक रूप से पाई जाती है। यह एक हिमालयन जड़ी-बूटी है।
जटामांसी चाहें तो अकेले उपयोग करें या फिर भृंगराज, ब्राह्मी, आंवला के साथ भी मिलाकर इसका उपयोग किया जाता है। पित्त दोष होने के कारण बालों की परेशानी होती है। जटामांसी इसी दोष को कम कर बाल झड़ने से रोकती है। जटामांसी का तेल अगर न हो तो इसका पाउडर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जटामांसी का तेल बनाने के लिए इसमें नारियल तेल या फिर नीम तेल भी मिलाकर सिर पर लगा सकते हैं।
जटामांसी की जड़ें ही इसका मुख्य औषधीय हिस्सा है। जटामांसी के पत्ते भी हर्बल और पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग किए जाते हैं। दुर्गंध, शामक, रोगाणुरोधी और सूजन का कम करने वाले गुणों की वजह से इसका आवश्यक तेल के रूप में प्रयोग किया जाता है। जटामांसी औषधीय जड़ी-बूटी का इस्तेमाल तेज गंध वाला परफ्यूम और दवा बनाने के लिए भी किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति को दातों का दर्द है तो जटामांसी के जड़ का चूर्ण मंजन की तरह प्रयोग करना होगा। ऐसा करने से दांतों में खून, मुंह में बदबू, मसूड़ों में दर्द, दांतों में दर्द आदि समस्याएं दूर की जा सकती है।
जटामांसी का उपयोग
गुनगुने दूध या पानी के साथ
चूर्ण का लेप त्वचा पर लगाना
काढ़ा बनाकर सेवन
कैप्सूल के रूप में
जटामांसी के फायदे
बालों का झड़ना कम करना
पाचन क्रिया को ठीक रखना
बालों की ग्रोथ बढ़ाना
अनिंद्रा का दूर करना