मगही पान | Magahi Betel
मगही पान के विषय में –
भारत देश अपनी विविधताओं के लिए जाना जाता है। यहां हर राज्य हर जिले की अपनी एक खास विशेषता है। उत्तर-प्रदेश के बनारस का नाम लें तो सबसे पहले बनारस के पान का जिक्र आता है। इसी तरह बिहार के मगध की बात करें तो वहां के मगही पान के तो देश विदेश तक चर्चे हैं। जी हां, मगही पान बिहार के मगध इलाके में सबसे अधिक उगाया जाता है। दिलचस्प बात है कि बनारस में ज्यादातर मिलने वाले पान मगध से ही आते हैं। मगध में पान की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि वो मगही पान के बेचने के लिए बनारस लेकर जाते हैं क्योंकि, बनारस में पान की अच्छी खासी मार्केट है।
पान एक ऐसा वृक्ष है जिसे अंगूर-लता की तरह ही उगाया जाता है। पान का कोई फल नहीं होता और इसे केवल इसकी पत्तियों के लिए ही उगाया जाता है। इसकी लता कोमल होती है जो फैलती है। इसके तने चिकने, मजबूत, छोटी जड़ के सहारे ऊपर चढ़ने वाले होते हैं। इसके पत्ते पीपल के पत्तों के समान बड़े और चौड़े होते हैं। पान के पत्तों का रंग हरा होता है। पान विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे ताम्बूल (संस्कृत), पक्कू (तेलगू), वेचिलाई (तमिल और मलयालम) और नागवेल (मराठी) आदि। मगध के चार जिले औरंगाबाद, नवादा, गया और नालंदा में मगही पानन की बड़े स्तर पर की जाती है। मगध के इन तार जिलों में तकरीबन 5 हजार किसान परिवार मगही पान की खेती करती हैं। मगही शब्द मगह से बना है जो लोग स्थानीय बोली के रूप में मगध को बोलते हैं। मगध से बना मगह और इसी से जुड़ा है मगही पान।
मगही पान की खेती की बात करें तो इस किस्म के पत्ते लंबे और हल्के हरे होते हैं। बेल ये 180 से 210 दिन की अवधि पर पत्तों की कटाई की जाती है। मगही पान के पत्ते की लंबाई 7 से 9 सेंटीमीटर और चौड़ाई 5 से 6 सेंटीमीटर के लगभग होती है। पान की खेती के लिए ठंड और छायादार जगह की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए 20 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान उपयुक्त है। इसके लिए हम बांस के माध्यम से बरेजा (छायानुमा संरचना) तैयार करते हैं। ताकि तापमान का संतुलन बना रहे और पान के पौधे को नुकसान ना हो। यहां ये खेती जून-जूलाई में शुरू हो जाती है, जबकि प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में अगस्त में भी पान के पौधों की रोपाई की जाती है। इसके अलावा कई राज्यों में इसकी खेती फरवरी मार्च से लेकर अगस्त महीने तक की जाती है।
मगही पान के स्वास्थय लाभ की बात करें तो यह किस्म फाइटोफथोरा रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। पान खाने वालो की मांग पर पान को कई प्रकार से बनया जाता हैं। पान खाने के लाभ और हानि को जाने बिना कुछ लोग इसके आदि हो जाते हैं। पाचन क्रिया सुधारने की दवा के रूप में पान को इस्तेमाल किया जाता है। मुंह से बदबू हटाना हो या मुंह के छाले ठीक करने हो तो पान के पत्ते काम आते हैं। इसी प्रकार के बवासीर, पीलिया के इलाज के लिए पान को याह किया जाता है।
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मगही पान के व्यंजन
पान शरबत
पान के लड्डू
मीठा पान या शाही मीठा पान
मिठाइयों में पान का इस्तेमाल
मगही पान के फायदे
एंटी डिप्रेसेंट
मुंह के छाले का इलाज
पाचन क्रिया में सुधार
माउथ फैशनर की तरह उपयोग