छोटी हरड़ | Haritaki|Black Myrobalan
छोटी हरड़ के विषय में –
पेट की परेशानी होने पर सबसे पहले हरड़ का ही जिक्र सुनाई देता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि हरड़ भी दो प्रकार की होती हैं छोटी हरड़ और बड़ी हरड़। दोनों हरड़ एक ही पेड़ पर उगती है। छोटी हरड़ भारत में पाई जाने वाली एक खास प्रकार की जड़ी-बूटी है। जब हरड़ के वृक्ष से प्राप्त होने वाले फल में गुठली विकसित होने से पहले ही उसे तोड़ कर सुखा दिया जाता है, तो वह छोटी हरड़ बन जाती है।
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कहां उगता है छोटी हरड़ का पेड़ ?
भारत में छोटी हरड़ का पेड़ खासतौर पर हिमालय व उसके आस-पास के क्षेत्रों में पाया जाता है। इसका इस्तेमाल त्रिफला चूर्ण (Triphala Powder) समेत कई अन्य प्रकार के प्रोडक्ट बनाने के लिए किया जाता है और साथ ही कई घरेलू उपचारों में भी छोटी हरड़ का इस्तेमाल किया जाता है। आजकल मार्केट में छोटी हरड़ व उसका पाउडर आसानी से मिल जाता है।
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कैसे उगती है छोटी हरड़ ?
50 से 80 फीट तक की उंचाई का एक वृक्ष होता है। इस पेड़ के पत्ते लंबे चौड़े होते है। छोटी गुठली और बड़े खोल वाली हरड़ को बेहतर माना जाता है। जनवरी से अप्रैल तक इस पेड़ पर फल लगते है। हरड़ वैसे तो सात प्रकार की होती है। इनमें से दो प्रकार की ही ज्यादा इस्तेमाल में लाई जाती है। अधिकतर छोटी हरड़ ही इस्तेमाल में लाई जाती है। हरड़ को हरीतकी भी कहा जाता है।
हरड़ के व्यंजन
रोग प्रतिरोधक क्षमता से भरपूर
हाजमा ठीक करे
मौसमी बीमारियों से बचाव
हरड़ के फायदे
पाउडर के रूप में
घी के साथ भूनकर
गुनगुने पानी के साथ पीएं