गंदरायणी | Gandrayani
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गंदरायणी के विषय में
गंदरायण, गंदरायणी, गंदरायन या छिप्पी नामों से जाना जाने वाला हिमालयी मसाला ठेठ पहाड़ी खान-पान का अहम मसाला है। राजमा, झोई (कढ़ी) और गहत, अरहर व भट के डुबके (फाणु) में इसका दखल व्यंजन की खुश्बू और जायके को कई गुना बढ़ा देता है। गंदरायणी को हिंदी में चोरा, आयुर्वेद में चोरक कहा जाता है। हिमाचली इसे चमचोरा या चौरू बुलाते हैं तो कश्मीरी चोहरे। इसका अंग्रेजी नाम एन्जेलिका है। गंदरायण व हिमालयन एन्जेलिका इसके वाणिज्यिक नाम हैं। खुशबूदार एपिएसी (Apiaceae) परिवार का यह पौधा एन्जेलिका ग्लोका (Angelica Glauca) के वानस्पतिक नाम से जाना जाता है।
क्या है गंदरायण
गंदरायण के पौधे की जड़ों व प्रकंद को छाया में सुखाकर इसका इस्तेमाल मसाले के तौर पर किया जाता है। इसकी खुशबू और जायका तो अच्छा होता ही है, साथ ही इसमें मौजूद तत्व पाचन के लिए भी लाभकारी होते हैं। इसका मसाला पाचन में मदद करने के साथ ही एसिडिटी को भी ख़त्म करता है। इसके अलावा यह कब्ज को दूर करता है और ह्रदय व लीवर को मजबूत बनाता है।
कैसे करें गंदरायण का इस्तेमाल
अपने औषधीय गुणों के कारण इसका इस्तेमाल दवा के रूप में भी किया जाता है। इसकी जड़ों का पाउडर बनाकर पानी में मिलाकर पीने से पेटदर्द में फायदा मिलता है। दुर्गम पहाड़ी इलाकों में, जहाँ दवा उपलब्ध नहीं होती, इसका इस्तेमाल बच्चों को पेटदर्द से छुटकारा दिलाने के लिए खूब किया जाता है। पेटदर्द के अलावा यह सरदर्द, बुखार और टायफायड की भी रामबाण औषधि मानी जाती है। गाय की दुग्ध क्षमता बढ़ाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। महक से भरी होने की वजह से इसका इस्तेमाल धूप,अगरबत्ती में तथा अन्य तरीकों से घरों को सुवासित करने में भी किया जाता है।
इसकी जड़ों में 15% तक तेल की मात्र होती है। इस तेल में एन्जेलिक एसिड, वेलेटिक एसिड और एजेलिसीन नामका रेजीन पाया जाता है। यह एक सुगंधित जड़ है और इसमें एक अलग सुगंध होती है। एक औषधीय जड़ी बूटी, यह भूख बढ़ाती है और पेट की बीमारियों को ठीक करने के लिए उपयोग की जाती है । गंधरायनी 2700-3400 मीटर की ऊंचाई के बीच सुदूर उत्तराखंड हिमालय क्षेत्र में जंगली रूप से उगती है और बर्फ पिघलने के बाद गर्मियों के महीनों के दौरान स्थानीय लोगों द्वारा इसकी कटाई की जाती है।
Samagralay Review : Myor Pahad Gandherni Bark
गंधेरनी/गंद्रायणी छाल अपने अद्वितीय औषधीय गुणों और स्वास्थ्य लाभों के लिए प्रसिद्ध है। यह असाधारण छाल पाचन में सहायता करती है, प्रतिरक्षा को बढ़ावा देती है। पढ़िए सामग्रालय पर म्योर पहाड़ ब्रांड के गंद्रायणी हर्ब के बारे में।
1- पैकिंग :
Myor Pahad एक पहाड़ी ब्रांड है जो ऑरगैनिक प्रोडक्ट्स बेचती है। इसके सभी प्रोडक्ट्स प्राकृतिक तरीकों से उगाए जाते हैं। गंद्रायणी छाल की पैकिंग की बात करें तो पैकिंग एकदम साफ और सुरक्षित है। कम मात्रा में अगर आप खरीद रहे हैं तो आपको जिप वाले पैकेट में ये प्रोडक्ट मिल जाएगा। अगर अधिक मात्रा में आपको ये प्रोडक्ट खरीदना है तो कांच की बढ़िया बोतल में ये प्रोडक्ट मिल जाता है। जिसकी पैकिंग और क्वालिटी दोनों बढ़िया होती है।
2- स्वाद में बेहतरीन :
गंद्रायणी छाल को खाना पकाने के बाद उपर से हल्का कस कर या पाउडर बनाकर डाल देना होता है और उसके बाद खाना ढक कर रख देना होता है जिससे गंद्रायणी की खुशबू और स्वाद दोनों खाने में पूरी तरह से मिल जाती है।
3- कैसे पकाएं गंद्रायणी छाल से खाना :
गंदरायण, गंदरायणी, गंदरायन या छिप्पी नामों से जाना जाने वाला हिमालयी मसाला ठेठ पहाड़ी खान-पान का अहम मसाला है। इसको अलग अगल खाने में मिला सकते हैं जिससे ये खाने की खुश्बू और जायके को कई गुना बढ़ा देता है।
- राजमा
- झोई (कढ़ी)
- गहत
- अरहर व भट के डुबके (फाणु)
4- खाना पचाने में सहायक :
- इसका मसाला पाचन में मदद करने के साथ ही एसिडिटी को भी ख़त्म करता है।
- इसके अलावा यह कब्ज को दूर करता है।
- ह्रदय व लीवर को मजबूत बनाता है।
5- हेल्दी, ऑरगैनिक और शुद्धता पर फोकस :
Samagralay का हमेसा प्रयास यही रहता कि जितना हो सके लोकल प्रोडक्ट्स को हम वेबसाइट पर जगह दें। जो सामग्री जहां उगती है वहाँ पर ही उसका प्रोडक्ट तैयार होता है तो ऑथेंटिसिटी और फ्रेशनेस बरकरार रहती हैं और मिलावट होने का चांस भी कम होता है। सामग्रालय का रिव्यू हमेशा किसी भी प्रोडक्ट को इस्तेमाल करने के बाद ही लिखा जाता है। इसीलिए अगर आप यहाँ तक पहुंच ही गए है तो एक बार नीचे दिए गए लिंक पर जाकर खुद को सेहतमंद बनाने की तरफ एक कदम बढ़ाएं।
गंदरायणी के उपयोग
- सुगंध के लिए धूप के रूप में इस्तेमाल
- मसाले के तौर पर
- दवा के रूप में
- सरदर्द, बुखार, पेटदर्द में आराम
गंदरायणी के फायदे
- पाचन के लिए
- पेटदर्द दूर करे
- बुखार में लाभकारी
- भूख बढ़ाती है