भीभीतकी
भीभीतकी के विषय में –
भीभीतकी जिसे हिंदी में बहेड़ा भी कहा जाता है, एक बड़ा पर्णपाती औषधीय पेड़ है और आयुर्वेद और यूनानी जैसी पारंपरिक दवाओं में इसका बहुत महत्व है। इसे तेलुगु में तनिकाय और तमिल में तनरी के नाम से भी जाना जाता है। संस्कृत में इसे विभीता कहा जाता है जिसका अर्थ है जो रोग के भय को नष्ट कर देने वाला।
भीभीतकी या बहेड़ा, त्रिफला (Triphala) का ही एक अंग है। वसंत के मौसम में भीभीतकी के पेड़ से पत्ते झड़ जाने के बाद इस पर तांबे के रंग के नई टहनी या शाखा निकलती है। गर्मी के मौसम के आगमन पर तक इसी टहनी यी शाखा के साथ फूल खिलते हैं। वसंत के पहले तक इसके फल पक जाते हैं। इन्हें ही भीभीतकी या बहेड़ा कहा जाता है। भीभीतकी या बहेड़ा का छिलका कफनाशक होता है। यह कंठ और सांस की नली से जुड़ी बीमारी पर असर करती है। सात ही इसके बीजों की गिरी दर्द और सूजन ख़त्म करती है।
यह भारतीय मूल का एक पेड़ है। दुनिया भर में इसकी सौ से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। आमतौर पर दक्षिण पूर्व एशिया के मैदानी इलाकों और निचली पहाड़ियों में पाया जाने वाला ये वृक्ष, भारत के मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ये मुख्य रूप से मैदानी एवं पहाड़ी क्षेत्रों के पर्णपाती वनों में लगभग 1000 मीटर की उंचाई तक पाए जाते हैं। इसका फल अण्डे के आकार का गोल और लम्बाई में 3 सेमी तक होता है, जिसे ही बहेड़ा के नाम से जाना जाता है। इसके अंदर एक मींगी निकलती है, जो मीठी होती है। भीभीतकी या बहेड़ा फल के कई हिस्सों को इस्तेमाल में लाया जाता है जैसे- छाल या छिलका, फल, सूखे फलों के बीज और मज्जा।
जहाँ तक सिर्फ भीभीतकी का सवाल है, ये हमारे शरीर के आवश्यक तीन ऊतकों के लिए बहुत सहायक है – रस धातु (प्लाज्मा), मुमसा धातु (मांसपेशी), और अस्थि धातु (हड्डी)। इसके फलों का गूदा आंखों के पोषण, बालों के विकास और आवाज की गड़बड़ी को रोकने में बहुत प्रभावी है। यह प्रकृति में जीवाणुरोधी है और विभिन्न संक्रमणों से लड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है। फलों के बीज का तेल सूजन वाले हिस्से पर लगाने से सूजन से राहत मिलती है। गठिया में इसका सबसे अच्छा उपयोग किया जाता है। यह रक्तचाप के लिए फायदेमंद है और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। भीभीतकी फेफड़ों और फेफड़ों से जुड़े विकारों के लिए भी काफी फायदेमंद है। यह अवरुद्ध कफ और थूक में रक्तस्राव में राहत देता है। इसका का उपयोग माउथवॉश और गरारे करने के लिए भी किया जाता है।
नोट- अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार बहेड़ा का प्रयोग करें।
भीभीतकी के उपयोग
दस्त की गंभीर बीमारी में बहेड़ा के 2-3 भुने हुए फल का सेवन करें
सूजन, जलन और दर्द होने पर बहेड़ा के बीजों को पीस कर लेप लगाएं
बहेड़ा का अधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी हो सकती है
अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार बहेड़ा का प्रयोग करें
बहेड़ा के छिलके को चूसने से खांसी में लाभ होता है।
भीभीतकी के फायदे
बालों के असमय सफेद होने से रोकना
फीवर, दर्द और सूजन में कमी
सांस की नली से जुड़ी समस्या में राहत
गठिया, रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करना