Kathiya Wheat | कठिया गेंहू
Table of Contents
कठिया गेंहू के विषय में :
कठिया गेहूं कई बीमारियों के खिलाफ असरदार है। गैस की बीमारी के दौरान इस गेहूं के सेवन की सलाह दी जाती है। इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन A, फाइबर, ऑक्सीडेंट भी मौजूद है। साथ ही इसका उपयोग उपयोग बिस्किट, सूजी, दलिया, उपमा आदि के रूप में किया जाता है। दक्षिण भारत में लोग इसको नाश्ते के रूप में प्रयोग करते हैं। इसकी उत्पादकता प्रति बीघे 2 क्विंटल से 25 क्विंटल तक है। बाजार में इसकी कीमकत 3500 रु प्रति क्विंटल है।
इसे भी पढ़ें – खपली गेंहू की रोटी क्यों जरूरी
ऑर्गेनिक तरीके से कठिया गेंहू की खेती
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में उगाए जाने वाला कठिया गेहूं पूरे भारत में प्रसिद्ध है। यहां के किसान ऑर्गेनिक तरीके से इसकी खेती करते हैं। इस गेहूं का उपयोग दलिया खाने में करते हैं। सबसे अधिक बुंदेलखंड में उगाए जाने वाले इस गेंहू की किस्म को बढ़ावा देने के लिए इसे जीआई टैग की सूची में शामिल करने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
कहां-कहां उगाया जाता है कठिया गेंहू
बुंदेलखंड के अलावा कठिया गेंहू झांसी जिले में बंगरा, बामौर, गुरसराय, मऊरानीपुर सहित आसपास के क्षेत्रों के किसान बड़ी संख्या में कठिया गेहूं की पैदावार करते हैं। कठिया गेंहू की बुवाई हेतु उचित जल निकास वाली दोमट भूमि उपयुक्त होती है। सिंचाई की सुविधा होने पर बलुई दोमट व मटियार दोमट में भी सफलतापूर्वक गेंहू की खेती की जा सकती है। भूमि का पीएच 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
इसे भी पढ़ें – शरबती गेंहू के बारे में जाने
क्या-क्या बनाए कठिया गेंहू से
कठियां गेहूँ आद्यौगिक उपयोग लिए अच्छा माना जाता है इससे बनने वाले सिमोलिना (सूजी/रवा) से शीघ्र पचने वाले व्यंजन जैसे पिज्जा, स्पेघेटी, सेवेइयां, नूडल, वर्मीसेली आदि बनाये जाते हैं। इसमें रोग अवरोधी क्षमता अधिक होने के कारण इसके निर्यात की अधिक संभावना रहती है।
Samagralay Review : Farms of Kashmir's Mountain/Himalayan Garlic
लहसुन अपने आप में एक औषधि है, मगर यहाँ पर रिव्यू किसी आम लहसुन क नहीं बल्कि हिमालयन लहसुन का है जो दिखने में तो खूबसूरत है ही लेकिन स्वास्थ लाभ में भी काफी फायदेमंद है। यहाँ आप पढ़ सकतेहैं कश्मीर के कटरा में मिलने वाली हिमालयन लहसुन की जिसे उगा रहे हैं Farms of Kashmir…. हिमालय के प्राचीन, प्रदूषण-मुक्त वातावरण से प्राप्त, लहसुन की यह अनूठी किस्म इस क्षेत्र का एक गुप्त रहस्य है, जो अपने स्वास्थ्यवर्धक गुणों और असाधारण स्वाद के लिए प्रसिद्ध है।
1 पैकेजिंग :
Farms of Kashmir’s Mountain/Himalayan Garlic की पैकेजिंग बेहद ही सुंदर है। सॉलिड प्लास्टिक के जार में हिमालयन लहसुन को पैक किया गया है। जिसकी लैबेलिंग भी काफी सुंदर है। जैर को आप री-यूज भी कर सकते हैं।
2- कैसे करें इस्तेमाल :
आप रोजाना सुबह खाली पेट कश्मीरी लहसुन की दो कलियों का सेवन कर सकते हैं। बीमारियों में इसका पूरा लाभ पाने के लिए इसे चबाकर खाना चाहिए। शुरुआत में इसका स्वाद थोड़ा कड़वा लग सकता है लेकिन धीरे-धीरे आदत बन जाने पर आप आसानी से कश्मीरी लहसुन का सेवन कर सकते हैं।
4- हिमालयन लहसुन के व्यंजन :
ध्यान रखें खाने से पहले लहसुन का छिलका निकाल लें। इस लहसुन में 2 छिलकों की परत पाई जाती है। इसे आप भून कर या कच्चा भी खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका विशिष्ट स्वाद और तीव्र सुगंध इसे सूप, स्टू और स्टर-फ्राई के लिए एक आदर्श बनाती है, साथ ही यह मांस और सब्जियों के लिए सुगंधित मसाला के रूप में भी काम करती है।
5 आम लहसुन से फायदेमंद है कश्मीरी लहसुन :
विटामिन और मिनरल की बात करें तो इसमें मैंगनीज, विटामिन बी1, विटामिन सी, सेलेनियम और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व भरमार होते हैं. इसके नियमित सेवन से आप बैड कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं. इसके लिए आप रोजाना सुबह कश्मीरी लहसुन की दो कलियों को चबाकर खाएं. कुछ ही दिनों में शरीर में अंतर महसूस कर सकेंगे
लोकल जगहों को प्राथमिकता :
Samagralay का हमेसा प्रयास यही रहता कि जितना हो सके लोकल प्रोडक्ट्स को हम वेबसाइट पर जगह दें। जो सामग्री जहां उगती है वहाँ पर ही उसका प्रोडक्ट तैयार होता है तो ऑथेंटिसिटी और फ्रेशनेस बरकरार रहती हैं और मिलावट होने का चांस भी कम होता है।
सामग्रालय का अनुभव –
सामग्रालय का रिव्यू हमेशा किसी भी प्रोडक्ट को इस्तेमाल करने के बाद ही लिखा जाता है। इसीलिए अगर आप यहाँ तक पहुंच ही गए है तो एक बार नीचे दिए गए लिंक पर जाकर खुद को सेहतमंद बनाने की तरफ एक क्लिक बढ़ाएं।
Samagralay Review : Preesha Kathiya Wheat Porridge
खाना पकाने का मन ना हो, बाहर का जंक फूड भी ना खाना हो और साथ में पोषण भी पूरा चाहिए तो खाइए दलिया वो भी ऑरगैनिक तरीकों से उगाय गए कठिया गेंहू से बना हुआ। सामग्रालय पर पढ़िए पूरा रिव्यू कठिया गेंहू के बारे में।
1- पैकिंग :
Kathiya Wheat Porridge की पैकिंग काफी अच्छी की गई है। Preesha ने अपने प्रोडक्ट की पैकेजिंग पर काफी ध्यान दिया है। दलिया को एक बेहतर ही बढ़िया डिब्बे में पैक किया गया है। प्रोडक्ट को सील पैक भी किया गया है ताकि किसी प्रकार की सीलन या हवा लगने का डर भी नहीं रहता। Preesha के ये डिब्बा काफी मजबूत है जिसे आप दलिया के खत्म होने के बाद भी इस्तेमाल कर सकते हैं किसी दूसरे प्रोडक्ट को स्टोर करने के लिए। डिब्बे पर Preesha और इसके प्रोडक्ट की सभी डिटेल्स मैंशन की गई है जिसे आप आसानी से पढ़ सकते हैं। लैबेलिंग पर प्रोडक्ट में इस्तेमाल किए गए सभी प्रकार के ingredients की जानकारी भी दी गई है।
2- दलिया क्यों:
बाजार में बिकने वाले खुले गेंहू के दलिया में मिलावट भी पाई जाती है साथ ही वो किस गेंहू से बने हैं इसकी ओथेंटिक जानकारी नहीं मिलती। इसीलिए एक भरोसेमंद ब्रांड का पता होना बेहद जरूरी है अपनी सेहत को सेहतमंद रखने के लिए। इसीलिए Preesha के बारे में हम आपके बता रहे हैं क्योंकि Preesha कठिया गेंहू को खुद अपने खेतों में प्राकृतिक तरीकों से उगाते हैं।
3- आकर्षक विज्ञापनों वाले ब्रांड्स से बचें :
सामान्य तौर पर जो दलिया हम मार्किट से लेकर आ रहे हैं उनमें से अधिकतर में गेंहू के नाम पर मैदा की मिलावट की जाती है। दलिया में चौकर की मात्रा बिल्कुल गायब हो चुकी है। बाजार में मिलने वाले पैकेट ऑरगैनिक गेंहू, मल्टीग्रेन गेंहू के नाम पर नकली और खराब सामान बेच रहे होते हैं, इसीलिए प्राकृतिक गेंहू और बिना मिलावट के गेंहू से बने दलिया का सेवन करना बेहद जरूरी है।
4- हेल्दी, ऑरगैनिक और शुद्धता पर फोकस :
Samagralay का हमेसा प्रयास यही रहता कि जितना हो सके लोकल प्रोडक्ट्स को हम वेबसाइट पर जगह दें। जो सामग्री जहां उगती है वहाँ पर ही उसका प्रोडक्ट तैयार होता है तो ऑथेंटिसिटी और फ्रेशनेस बरकरार रहती हैं और मिलावट होने का चांस भी कम होता है। सामग्रालय का रिव्यू हमेशा किसी भी प्रोडक्ट को इस्तेमाल करने के बाद ही लिखा जाता है। इसीलिए अगर आप यहाँ तक पहुंच ही गए है तो एक बार नीचे दिए गए फोन नंबर पर जाकर खुद को सेहतमंद बनाने की तरफ एक कदम बढ़ाएं।
कठिया गेंहू के उपयोग
- दलिया
- पिज्जा
- स्पेघेटी
- सेवेइयां
- नूडल्स
कठिया गेंहू के फायदे
- गैस की परेशानी हटाए
- कार्बोहाइड्रेट
- विटामिन A
- फाइबर
- ऑक्सीडेंट