तिरूर पान पत्ता | Tirur Betel Leaf
पान पत्तों के विषय में –
भारत देश में पान के पत्तों की 500 से भी अधिक किस्में पायी जाती हैं। पान के पत्तों के लिए बारिश वाले इलाके ज्यादा बेहतर होते हैं। जिन राज्यों में लगाततार बरसात होने या नमी वाली मिट्टी पायी जाती है वहां के पान के पत्तों में औषधीय गुण अधिक पाए जाते हैं। पान की खेती को ‘ग्रीन गोल्ड’ भी कहा जाता है। केरल राज्य का मल्लापुरम जिला पान के पत्तों की खेती के लिए जाना जाता है।
मेडिसनल प्लांट है तिरूर पान
मल्लापुरम पश्चिमी तट का मैदानी और घाट वाला क्षेत्र है इसलिए यहां के तिरूर ब्लॉक में पान की खेती बहुतायत होती है। तिरूर के पान के पत्तों की खेती तिरूर के अलावा तनूर, तिरुरागंडी, कुट्टिपुरम, मलप्पुरम जिले के वेंगारा प्रखंड में की जाती है। मल्लापुरम के ताजा पान के पत्तों में कहा जाता है कि इनमें अधिक मात्रा में क्लोरोफिल और एंटीऑक्सीडेंट्स की क्षमता पायी जाती है। इसलिए पान को मेडिसनल प्लांट भी माना जाता है।
तिरूर पान को मिला ‘जीआई टैग’ –
• साल 2019 में मल्लपुरम के तिरूर को भौगोलिक संकेत (GI TAG) का दर्जा प्राप्त हुआ।
• तिरूर के पान के ताजे पत्तों में क्लोरोफिल और प्रोटीन की उच्च मात्रा होता है।
• यह पान का पत्ता बाकी पान के पत्तों से तीखा होता है।
• अन्य पान के पत्तों की तुलना में इसकी शेल्फ अवधि अधिक होती है।
• तिरूर की खेती का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा दिल्ली, मुंबई, जयपुर भेजा जाता है।
• बाहरी देशों में भी तिरूर के पान के पत्तों का निर्यात किया जाता है।
पान के पत्तों का उपयोग
पान शरबत
पान के लड्डू
मीठा पान या शाही मीठा पान
मिठाइयों में पान का इस्तेमाल
पान के पत्तों के फायदे
एंटी डिप्रेसेंट
मुंह के छाले का इलाज
पाचन क्रिया में सुधार
माउथ फैशनर की तरह उपयोग