हिना (मेंहदी) | Heena
हिना के विषय में –
हिना कहें या कहें मेंहदी, सदियों से हमारे भारतीय घरों का हिस्सा रही है। हिना (मेंहदी) एक पुष्पीय और काँटेदार पौधा है। हिना (मेंहदी) को सबसे अधिक बालों को डाई करने, हाथों पर लगाने के काम में इस्तेमाल किया जाता है। हिना (मेंहदी) का इन सब के अलावा भी इस्तेमाल किया जाता है जैसे- चमड़ा और ऊन को रंगने के काम में भी इस्तेमाल जाता है।
हिना (मेंहदी) के कई नाम
हिना (मेंहदी) का वैज्ञानिक नाम ‘लॉसोनिया इनर्मिस’ (lawsonia inermis) है और यह लिथेसिई (lythraceae) कुल का एक पौधा है। हिना (मेंहदी) अधिकतर उत्तरी अफ्रीका, अरब देशों, भारत और पूर्वी द्वीप समूहों मे पाया जाता है। भारत में सबसे अधिक हिना (मेंहदी) की खेती राजस्थान में की जाती है। हिना (मेंहदी) कई बीमारियों में औषधि का काम करती है। इसके पत्तों में टैनिन, वासोन, मैलिक एसिड, ग्लूकोज, मैलिटोल और म्यूसिलेज जैसे तत्व पाए जाते हैं।
हिना (मेंहदी) की खेती
इसकी केती के लिए छोटे बगीचों यो फिर बागों के बीच में कहीं भी इसकी बाड़ लगाई जा सकती है जिसकी उँचाई आठ से दस फुट कर हो जाती है। हिना (मेंहदी) का पौधा अधिकतम एक झाड़ी जितना ही बड़ा होता है। इसकी टहनियों को काटकर जमीन में गाड़ देने से हिना (मेंहदी) की नई फसल लग जाती है। हिना (मेंहदी) के पौधे पर छोटे-छोटे सफेद और पीले रंग के फूल खिलते हैं जिसकी रात के समय भीनी-भीनी सुगंधित महक आती है।
हिना (मेंहदी) का उपयोग
हिना (मेंहदी) के फूलों को सुखाकर पीसा जाता है जिससे सुगंधित तेल निकाला जाता है। सूखी हुई पत्तियों को पीसकर हिना (मेंहदी) का लेप या पाउडर तैयार किया जाता है जिसे हाथों-पैरों को रंगने में इस्तेमाल करते हैं। इसके पौधों की छाल और पत्तियों को दवा के तौर पर भी इस्तेमाल करते हैं।
हिना (मेंहदी) बालों में लगाने से बाल कोमल और चमकदार बनते हैं। हिना के रस से सिरदर्द और अनिद्रा को दूर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। हिना (मेंहदी) की तासीर ठंडी होती है तो इसे दर्द, जलन या फिर सूजन वाली जगह पर हिना के पत्तों की पीस कर लेप लगाने पर आराम मिलता है।
हिना का उत्पाद
हिना पाउडर
हिना पत्तों का लेप
हिना के फूलों का तेल
हिना के फायदे
बालों को मजबूत और चमकदार बनाएं
सिर से डैंड्रफ खत्म करें
दर्द और सूजन में दिलाए आराम