खाद्य गोंद (बबूल)
गोंद के विषय में –
गोंद पेड़-पौधों से प्राप्त होने वाला एक प्राकृतिक पदार्थ है। किसी पेड़ के तने को चीरा लगाने पर उसमें से जो स्त्राव निकलता है वह सूखने पर भूरा और कड़ा हो जाता है उसे गोंद कहते हैं। यह शीतल और पौष्टिक होता है। उसमें उस पेड़ के ही औषधीय गुण भी होते हैं। आयुर्वेदिक दवाईयों में गोली या वटी बनाने के लिए भी पाउडर की बाइंडिंग के लिए गोंद का इस्तेमाल होता है। लेकिन यह भी जानने की जरूरत है कि हर पेड़ का गोंद खाने लायक नहीं होता। कीकर और बबूल का गोंद सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। मार्केट में आपको खाने वाला गोंद आसानी से मिल जाएगा।
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गोंद के प्रकार जानें :
गोंद अलग-अलग पेड़ पौधों से प्राप्त होता है जिस कारण इसके गुणों में भी कुछ भिन्नता देखी जा सकती है। बबूल, कतीरा, धावडा व पलाश इन के गोंद को खाने योग्य माना जाता है। इनमे भी बबूल/कीकर का गोंद ही सबसे अधिक खाया जाता है। बबूल का वैज्ञानिक नाम ACACIA है। कीकर के गोंद को ईस्ट इंडिया गम के नाम से भी जाना जाता है।
दूसरा पेड़ है कतीरा जिसका वैज्ञानिक नाम है Tragacanth, जिसको कराया, गुलु या भुतहा पेड़ के नाम से भी जाना जाता है। इसे सर्दियों में नहीं खाना जाना चाहिए। ये गर्मी में खाने के लिए बना है। कतीरा के गोंद को खाने से लू नहीं लगती है। वहीं कीकर के गोंद को सर्दियों में खाया जाता है। कीकर और कतीरा दोनों के ही गोंद को खाने से कई तरह की बीमारियों से बचा जाता है।
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व्यवसायिक रुप से गोंद की खेती :
कीकर को उगाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं लगती। इन्हें कटिंग या कलम के जरिए शुष्क या रेगिस्तानी इलाकों में आसानी से उगाया जा सकता है। बात करें कीकर या कतीरा की, दोनों ही गर्म और शुष्क इलाकों में उगने वाले पेड़ हैं। ये मैदानी इलाकों में अपने आप ही उग जाते हैं। क्योंकि ये एक औषधिय पौधा है तो सरकार की तरफ से इसकी खेती और नर्सरी के लिए सब्सिडी का भी प्रावधान है। इसकी खेती के लिए 100 से 500 पेड़ लगाने पर 50 फिसदी तक सब्सिडी मिलती है।
बाजार में गोंद की कीमत :
बाजार में गोंद की कीमत 250 रुपए से लेकर 4000 रुपए प्रति किलोग्रम तक होती है। चाहे तो आप इसे ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं। आयुर्वेदिक दवाईयों में गोली या वटी बनाने के लिए भी पाउडर की बाइंडिंग के लिए गोंद का इस्तेमाल होता है। दोनों ही पेड़ो की खेती आज के समय में किसान कर रहे हैं क्योंकि इन पेडो़ं से सिर्फ खाद्य गोंद ही नहीं बल्कि दवा, पेपर, कपड़ा उद्योग में भी इनका गोंद इस्तेमाल होता है। इस प्रकार से गोंद की खेती एक सस्ता और मुनाफे वाला व्यवसाय है।
गोंद से बनने वाले व्यंजन :
बबूल की गोंद को देसी घी में भूनकर और मिश्री के साथ मिलाकर लड्डू बना कर खिलाया जाता है। इससे कमर दर्द में लाभ होता है।
किसी महिला का बच्चा हुआ हुआ तो उस महिला की शरीरिक कमजोरी और दर्द में बहुत कारगर होता है इसीलिए गोंद के लड्डू खिलाए जाते हैं।
व्यंजन
गोंद के लड्डू
गोंद का हलवा
गोंद का चूरमा
गोंद पाक
गोंद के फायदे
दंत स्वास्थ्य को बढ़ावा
बाल झड़ने पर नियंत्रण
त्वचा के लिए लाभदायक
ज्वरनाशक